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जून 2023 पृथ्वी पर अब तक का सबसे गर्म महीना रहा

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। इस साल जून में बहुत गर्मी और जलन महसूस की गयी थी। लोगों ने माना था कि यह जलवयु परिवर्तन और प्रकृति से मानवीय छेड़छाड़ का नतीजा है। लेकिन अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने बताया है कि पृथ्वी पर जून 2023 को अब तक का सबसे गर्म महीना रहा।.

नासा के अध्ययन ने की पुष्टि

नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने ट्विटर पर लिखा कि हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि जून महीना अब तक का सबसे गर्म माह था। हमने प्रत्यक्ष रूप से इसके खराब प्रभाव को देखा है। जून 2023 में औसत वैश्विक तापमान ने जून 2020 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ दिया। जून में औसत वैश्विक सतह (भूमि और महासागर) का तापमान औसत से 1.05 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

अल नीनो की स्थिति मजबूत रही जून में

NOAA विश्लेषण से पता चला है कि साल 2023 के सबसे गर्म 10 वर्षों में शुमार होने की लगभग 100 प्रतिशत संभावना है जबकि 97 प्रतिशत संभावना है कि यह शीर्ष पांच वर्षों में शामिल हो। वैज्ञानिकों ने पाया कि लगातार तीसरे महीने वैश्विक महासागर की सतह का तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया क्योंकि मई में उभरी कमजोर अल नीनो स्थिति जून में भी मजबूत रही। इसके अलावा जून 2023 ने जलवायु रिकॉर्ड में किसी भी महीने के मुकाबले अपना उच्चतम स्तर बनाया।

1.01 डिग्री अधिक रहा तापमान

2023 की पहली छमाही को अब तक के रिकॉर्ड में तीसरा सबसे गर्म वर्ष माना गया है, जिसमें वैश्विक तापमान 20वीं सदी के औसत 13.5 डिग्री सेल्सियस से 1.01 डिग्री सेल्सियस अधिक है। वैश्विक स्तर पर, जून 2023 में सबसे कम समुद्री बर्फ कवरेज (सीमा) देखी गई। यह मुख्य रूप से अंटार्कटिक में कम समुद्री बर्फ का परिणाम था जो लगातार दूसरे महीने हुआ। जून 2023 में पृथ्वी की वैश्विक समुद्री बर्फ की मात्रा जून 2019 के पिछले रिकॉर्ड के निचले स्तर से 330,000 वर्ग मील कम थी।

C3S का भी ऐसा ही दावा

इससे पहले यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (C3S) ने भी अपने रिकॉर्ड में जून 2023 को सबसे गर्म महीना बताया था। इसमें कहा गया है कि वैश्विक महासागर में रिकॉर्ड किए गए समुद्री सतह का तापमान अधिक देखा गया। अंटार्कटिक समुद्री बर्फ जून में अपनी सबसे निचली सीमा पर पहुंच गई क्योंकि उपग्रह अवलोकन औसत से 17 प्रतिशत नीचे शुरू हुआ और पिछले जून के रिकॉर्ड को काफी अंतर से तोड़ दिया। आर्कटिक समुद्री बर्फ का विस्तार औसत से थोड़ा कम लेकिन पिछले आठ वर्षों के मुकाबले काफी ऊपर था।

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