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कोरोना के फैलने में मोबाइल फोन का भी रहा योगदान

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना की लहर को तेजी देने में मोबाइल फोन की भी अहम भूमिका रही है। ऑस्ट्रेलिया में हुए एक शोध में यह बात सामने आयी है। यह स्टडी तब हुई जब कोरोना चरम पर था।

10 देशों के 15 रिपोर्ट की हुई समीक्षा

कोरोना के थमने के बाद इसके विभिन्न आयामों पर लगातार स्टडी की जा रही है। इसी क्रम में ऑस्ट्रेलिया की बॉन्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 10 देशों के 15 अध्ययनों की एक व्यवस्थित समीक्षा की जिसमें 2019 और 2023 के बीच अस्पताल सेटिंग्स में प्रदूूषण के लिए मोबाइल फोन की जांच की गई थी। इसका निष्कर्ष जर्नल ऑफ इंफेक्शन एंड पब्लिक हेल्थ में प्रकाशित हुआ है। 511 फोनों में से 231 (45 प्रतिशत) में वायरस की उपस्थिति पॉजिटिव पायी गई. जो कोविड-19 के प्रसार का कारण बनता है। विश्वविद्यालय में आणिवक जीवविज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रमुख शोधकर्ता डॉ. लोटी ताजौरी ने कहा कि फ्रांस में 2022 के एक अध्ययन में 19 में से 19 फोन वायरस से दूषित थे। उनका मानना है कि व्यवस्थित समीक्षा ने लॉकडाउन, सीमा बंदी, सामाजिक दूरी सहित सख्त नियंत्रण उपायों के बावजूद दुनिया भर में कोरोना के तेज प्रसार के लिए मोबाइल भी जिम्मेवार रहा है।

कांच की सतह पर वायरस का जीवन 28 दिन

पिछले शोध से पता चला है कि वायरस मोबाइल फोन जैसी कांच की सतहों पर 28 दिनों तक जीवित रहता है। डॉ. ताजौरी ने कहा कि दुनिया भर में सात अरब से अधिक मोबाइल फोन उपयोग में हैं। ये उपकरण प्रभावी रूप से तीसरे हाथ के रूप में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि आप जितनी बार चाहें अपने हाथ धो सकते हैं लेकिन जैसे ही आप अपने मोबाइल फोन को छूते हैं, आप खुद को फिर से दूषित कर देते हैं। मोबाइल फोन अरबों व्यक्तियों के हाथों में हैं जो हाथ धोने की जीवनरक्षक प्रथाओं को नकार रहे हैं।

26 फोन में मिले थे 11 हजार से अधिक कीटाणु

डॉ. ताजौरी के मुताबिक हमने अस्पताल के बाल गहन देखभाल इकाई और बाल चिकित्सा आपातकालीन वार्ड में किए गए पहले के अध्ययन में 26 स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के मोबाइल फोन पर 11,163 रोगाणु पाए थे, जिनमें रोगजनक वायरस और एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया थे। शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि अस्पतालों, रेस्तरां, क्रूज जहाजों, हवाई अड्डों, बच्चों और वृद्ध देखभाल सुविधाओं जैसे उच्च जोखिम वाले वातावरण में हाथ धोने वाले स्टेशनों के पास संलग्न पराबैंगनी-सी लाइट फोन सैनिटाइज़र स्थापित किए जाने चाहिए।.

स्वास्थ्य क्षेत्र में भी लापरवाही

उदाहरण के तौर पर स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र को लें। अगर नर्स और डॉक्टर मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं और उन्हें नहीं पता कि वे दूषित हैं तो वे अपने कथित साफ हाथों में रोगाणुओं को लाएंगे। जब वे कमजोर रोगियों को छूते हैं तो वे उन वायरस को इन नाजुक और कमजोर इम्म्युनिटी वाले व्यक्तियों तक पहुंचा सकते हैं।.

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