पटना (स्वस्थ भारत मीडिया)। आईपीएस, धर्म और समाजसेवा-तीनों फ्रंट पर अपना कीर्तिध्वज फहाराने वाले आचार्य किशोर कुणाल ने जस की तस धर दीनी चदरिया वाली बात चरितार्थ कर दी। किसी भी फ्रंट पर उन पर कोई धब्बा नहीं लग सका।
आईपीएस अधिकारी होने के नाते उन्होंने धुरंधर अपराधियों पर सख्त काररवाई की। बॉबी हत्याकांड जैसे केस सुलझाए जिसमें कई राजनेता भी भागीदार बताये जा रहे थे।
लेखक के बतौर उन्होंने हिंदी में अपनी जीवनी दमन तक्षकों का, दलित देवो भव और अंग्रेजी में अयोध्या रीविजीटेड लिखा। अयोध्या विवाद पर उनके द्वारा एकत्रित सामग्री ने सुप्रीम कोर्ट की राह आसान की।
नौकरी छोड़ने के बाद वे एक परोपकारी धर्माचार्य बनकर जी रहे थे। वे स्वास्थ्य क्षेत्र में लगातार उपलब्धियां दर्ज कर रहे थे। महंगी चिकित्सा व्यवस्था से गरीबों को पीड़ित देख उन्होंने कई अस्पतालों का निर्माण कर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करायी। बिहार में उनके नेतृत्व में महावीर कैंसर संस्थान समेत 23 अस्पताल स्थापित हुए और कुछ निर्माण की प्रक्रिया में हैं।
हेल्थ क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान को देखते हुए स्वस्थ भारत न्यास ने 2024 में अयोध्या में आयोजित स्वास्थ्य संसद में महावीर कैंसर अस्पताल को सुशीला नायर उत्कृष्टता अवार्ड दिया था।
हेल्थ क्षेत्र में उनकी सक्रियता धर्माचार्य बनने के बाद बढ़ी। वे मानते थे कि धर्म ही परोपकार का रास्ता खोलता है। एक नवंबर 1987 से महावीर मंदिर का ट्रस्ट बनाकर उन्होंने इसकी शुरुआत की। जब महावीर मंदिर से जुड़े तो उस वक्त मंदिर की आय सालाना 11 हजार रुपये थी। आज मंदिर का बजट 212 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। अकेले यह मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड को 55 लाख रुपये सालाना शुल्क देता है।
उन्होंने पहले पटना के प्राचीन महावीर मंदिर का पुनर्निर्माण कराया। बाद में इसकी आय से महावीर वात्सल्य अस्पताल, महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर कैंसर संस्थान, महावीर नेत्रालय सहित नौ चैरिटेबल अस्पतालों की स्थापना की। 12 दिसंबर को उनके प्रयासों से देश के पहले बाल कैंसर अस्पताल, महावीर बाल कैंसर अस्पताल का शिलान्यास किया गया। महावीर नेत्रालय में बच्चों का इलाज और ऑपरेशन मुफ्त किया जाता है। वे बुजुर्गों के लिए भी अस्पताल खोलने की तैयारी में थे। उन्होंने पटना में 12 दिसंबर 1998 को कैंसर के इलाज के लिए महावीर कैंसर अस्पताल खोला। इसके पहले बिहार के मरीजों के पास कैंसर के इलाज के लिए सीधे दिल्ली-मुंबई जाने का ही विकल्प था। महावीर कैंसर अस्पताल के खुलने के बाद रियायत दर पर मरीजों को कैंसर के इलाज की सुविधा मिलने लगी। आज हर साल चार लाख से अधिक कैंसर मरीज इस अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। इसमें बिहार के अलावा आसपास के राज्यों नेपाल और बांग्लादेश के मरीज भी शामिल हैं। इसके साथ ही हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, जनकपुर, मोतिहारी आदि शहरों में मंदिर ट्रस्ट की ओर से कई अस्पताल खोले गए हैं। हर अस्पताल में कम दाम पर बिकने वाली दवा की दुकानें खोली गई हैं। आगे वे पटना एम्स के पास जमीन लेकर कैंसर रोगियों के इलाज और रहने-खाने के लिए अलग से सौ बेड का अस्पताल खोलने की तैयारी कर रहे थे। 2019 से पटनावासियों के लिए पार्थिव शरीर वाहन की निःशुल्क सुविधा चालू की गई।
उनके प्रयासों और दृष्टिकोण से पटना में 2019 से और बाद में अयोध्या के राम मंदिर परिसर में राम रसोई और सीतामढ़ी स्थित जानकी जन्म स्थान पुनौराधाम में 2019 से सीता रसोई का संचालन किया जा रहा है। जनवरी 2020 से मंदिर परिसर में दरिद्रनारायण भोज चालू हुआ। उन्होंने बिहार के पूर्वी चंपारण में विश्व के सबसे बड़े विराट रामायण मंदिर के निर्माण का कार्य भी आरंभ किया, जो अब आकार ले रहा है।
हेल्थ क्षेत्र में उनके अनुपम योगदान से स्वस्थ भारत न्यास भी प्रभावित रहा है। न्यास परिवार और उसके चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने आचार्य किशोर कुणाल को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है।