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Antibiotic : Azithromycin की खपत सबसे ज्यादा

अजय वर्मा

नयी दिल्ली। एलोपैथ में एंटीबायोटिक का सेवन अनिवार्य है सो ऐसी दवाओं की बिक्री भी ज्यादा है। कोरोना से पहले भी ऐसा ही था लेकिन महामारी में इसकी खरीदारी काफी बढ़ गई। डोलो-500 और 650 तो घर-घर पहुंचा ही, Azithromycin की भी भारी खपत हुई।

लैंसेट की रिपोर्ट का सार

कुछ माह पहले लैंसेट जर्नल ने एक रिपोर्ट दी थी कि कोरोना से पहले 2019 में देश में 500 करोड़ एंटीबायोटिक टैबलेट्स की खपत हुईं। यह हर दिन प्रति 1,000 लोगों पर 10.4 के बराबर है। वैज्ञानिकों की मानें तो देश में सबसे ज्यादा Azithromycin 500 mg की गोली खाई जाती है। एक साल में 7.6 फीसद लोगों ने इसे कंज्यूम किया। वहीं, Cefixime 200 mg टैबलेट 6.5 फीसद के साथ दूसरे नंबर पर रहा।

सबसे ज्यादा एजिथ्रोमाइसिन खा रहे लोग

साल 2019 में Azithromycin 500 मिलीग्राम, भारत में सबसे ज्यादा खपत वाला एंटीबायोटिक रहा। यह एसेंशियल मेडिसिन लिस्ट यानी जरूरी दवाओं की सूची में शामिल था तब। इसके बाद सेफिक्साइम 200 मिलीग्राम टैबलेट दूसरा सबसे अधिक बिकने वाला फॉर्मूलेशन था। भारत में सिर्फ 10 फीसदी फॉर्मूलेशन जरूरी दवाओं की सूची में थे।

देखें : एंटीबायोटिक-प्रतिरोध भारत में बनेगी खुद एक महामारी
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ऐसे हुई रिसर्च

रिसर्चर्स ने प्राइवेट सेक्टर के ड्रग सेल्स डेटाबेस PharmaTrac के डेटा को एनालाइज किया। यह डेटा 9 हजार विक्रेताओं से इकट्ठा किया गया था। इसके बाद एक्सपर्ट्स ने कई श्रेणियों में एंटीबायोटिक दवाओं की प्रति व्यक्ति निजी क्षेत्र की खपत की गणना करने के लिए डिफाइनन्ड डेली डोज (DDD) मेट्रिक्स का इस्तेमाल किया। किसी भी ड्रग को कंज्यूम करने के लिए उसकी एक औसत डोज तय की जाती है, जिसे DDD कहते हैं।

बिना सोचे-समझे दवा ले रहे लोग

रिपोर्ट के मुताबिक भारत के लोग बिना सोचे-समझे एंटीबायोटिक दवाओं को लेने लगते हैं और इनसे होने वाले नुकसानों पर ध्यान नहीं देते। हालांकि तब भारत सरकार ने इसका खंछन किया था। रिसर्च में शामिल दवाओं में से केवल 45.5 फीसद दवाएं सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) के नियमों को फॉलो करती हैं।

देखें : फार्मा सेक्टर में क्वसव का बाजार बूम पर, बाकी दवायें फेल
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कई देशों में भारत से अधिक खपत

एसेंशियल मेडिसिन की लिस्ट तैयार करने वाले वरिष्ठ फार्माकोलॉजिस्ट और नेशनल कमेटी ऑन मेडिसिन्स के उपाध्यक्ष प्रो. वाई के गुप्ता ने कहा कि भारत भले ही एंटीबायोटिक दवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, लेकिन यहां एंटीबायोटिक दवाओं की प्रति व्यक्ति खपत दर कई देशों की तुलना में कम है।

 

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