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मिट्टी को स्थिर रखने के लिए बैक्टीरिया आधारित पद्धति विकसित

नई दिल्ली। कृत्रिम उपाय से लंबी अवधि के लिए स्थायी तौर पर मिट्टी की पकड़ मजबूत बनाने की प्रक्रिया को मिट्टी का स्थिरीकरण कहते हैं। मिट्टी के रूपांतरण की इन विधियों में भौतिक, रासायनिक, यांत्रिक, जैविक या संयुक्त विधियाँ शामिल हैं। मिट्टी अस्थिर हो, या फिर मिट्टी को कटाव से बचाने के लिए यह बेहतर उपाय माना जाता है। आमतौर पर इसके लिए संपीड़न जैसी यांत्रिक प्रक्रियाएं और मिट्टी में रसायनिक ग्राउट तरल पदार्थ डालने जैसी रासायनिक प्रक्रियाएं अपनायी जाती हैं।

रसायन का प्रयोग नहीं

एक नये अध्ययन में भारतीय शोधकर्ता सूक्ष्मजीवों की मदद से मिट्टी की पकड़ मजबूत करने की पद्धति विकसित कर रहे हैं। इसमें शोधकर्ताओं ने हानि रहित बैक्टीरिया एस. पाश्चरी का उपयोग किया है, जो यूरिया को हाइड्रोलाइज कर कैल्साइट बनाते हैं। इस प्रक्रिया में खतरनाक रसायन का उपयोग नहीं होता और प्राकृतिक संसाधनों का सतत् उपयोग किया जा सकता है। यूरिया का उपयोग इसलिए उत्साहजनक है क्योंकि इसमें खतरनाक रसायन नहीं हैं और इससे प्राकृतिक संसाधनों का स्थायी रूप से समुचित उपयोग संभव होगा। इस प्रयोग में रेत का कॉलम बनाकर उससे बैक्टीरिया और यूरिया, कैल्शियम क्लोराइड, पोषक तत्व आदि से मिलकर तैयार सीमेंटिंग सॉल्यूशन को प्रवाहित किया गया है।

शोध पत्रिका में निष्कर्ष प्रकाशित

इस अध्ययन से जुड़े निष्कर्ष शोध पत्रिका जीयोटेक्निकल ऐंड जीयो-एन्वायरनमेंटल इंजीनियरिंग ऑफ अमेरिकन सोसाइटी ऑफ सिविल इंजीनियर्स (ASCI) में प्रकाशित किए गए हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. कला वेंकट उदय के नेतृत्व में किए गए इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ताओं में उनके एमएस स्कॉलर दीपक मोरी शामिल हैं।

लगातार मिट्टी पर परीक्षण

पिछले कुछ दशकों में पूरी दुनिया में मिट्टी के स्थिरीकरण की पर्यावरण अनुकूल और स्थायी तकनीक माइक्रोबियल इंड्यूस्ड कैल्साइट प्रेसिपिटेशन (MICP) पर परीक्षण हो रहे हैं। इसमें बैक्टीरिया का उपयोग कर मिट्टी के सूक्ष्म छिद्रों में कैल्शियम कार्बोनेट (कैल्साइट) बनाया जाता है, जो अलग-अलग कणों को आपस में मजबूती से जोड़ता है जिसके परिणामस्वरूप मिट्टीध्जमीन की पकड़ मजबूत होती है।

सूक्ष्मजीवों की मदद

स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के सहायक प्रोफेसर डॉ. के.वी. उदय ने अपने इस शोध के बारे में बताया-हमारा शोध सूक्ष्मजीवों की मदद से जमीनी स्तर पर मिट्टी की पकड़ मजबूत करने में मदद करेगा। इससे पहाड़ी क्षेत्रों में और भू-आपदा के दौरान मिट्टी का कटाव कम होगा। हम सूक्ष्मजीवों की मदद से खदान के कचरे से निर्माण सामग्री तैयार करने की दिशा में भी काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया-मिट्टी के स्थिरीकरण के उद्देश्य से पूरी दुनिया में एमआईसीपी तकनीक विकसित करने के लिए अध्ययन हो रहे हैं। लेकिन अब तक इस प्रक्रिया की सक्षमता को प्रभावित करने वाले कारकों को पूरी तरह समझा नहीं गया है। अध्ययन में शामिल शोधकर्ता दीपक मोरी ने बताया-कैल्साइट प्रेसिपिटेशन एफिसियंसी (सीपीई) कई मानकों पर निर्भर करती है जिनमें सीमेंटिंग सॉल्यूशन का कन्सन्ट्रेशन, कॉलम से होकर प्रवाह की दर, लागू आपूर्ति दर, पोर वॉल्यूम और रेत के कणों के मुख्य गुण शामिल हैं। हमने सीपीई पर विभिन्न मानकों के प्रभाव जानने की कोशिश की है।

इंडिया सायंस वायर से साभार

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