हम दवा पर खर्च हजारों खर्च कर देते हैं लेकिन स्वस्थ रहने के लिए संतुलित भोजन नहीं लेते। आज हमारी निर्भरता दवाइयों पर बहुत बढ़ गई है। यदि हम अपने जीवन में कुछ बातों का ध्यान रखें तो एक अच्छा और निरोग जीवन जिया जा सकता है। किसी ने ठीक ही कहा है-‘आहार के समान दूसरा कोई औषधि नहीं है।’
डॉ. रुचि भारद्वाज
हमारे जीवन में भोजन का महत्वपूर्ण स्थान है। और स्वस्थ शरीर के लिए संतुलित भोजन जरूरी है। भोजन हमारे शरीर को शक्ति प्रदान करता है, लेकिन यदि हम संतुलित व पौष्टिक भोजन नहीं खाएंगे तो पूर्णत: स्वस्थ रहना असंभव है। वैसे स्वास्थ्य में पूर्णता हासिल करना असंभव है क्योंकि पूर्णता हमें कभी भी और किसी में भी नहीं दिखाई पड़ती, कहीं न कहीं कुछ कमी रह ही जाती है। यही वजह है कि विज्ञान की इतनी उन्नति के बावजूद हमारा जीवन रोगों से घिरा हुआ है। यहां तक कि नए-नए रोग पैदा हो रहे हैं। रोगों की संख्या बढ़ती जा रही है। इन रोगों के कई कारण हैं, परंतु उनमें से एक महत्वपूर्ण कारण है- हमारे भोजन का संतुलित और उचित न होना। अगर हम अपने भोजन पर ध्यान दें तो बहुत सी बीमारियों से बचा जा सकता है।
भोजन हल्का, सुपाच्य, सात्विक और स्वास्थ्यवर्धक होना चाहिए। यदि हमारा भोजन तामसिक, तला-भुना और भारी होगा तो वह हमारे शरीर में उत्तेजना पैदा करेगा और हमें रोगी बनाएगा। गौरतलब है कि शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए शरीर में 85 प्रतिशत क्षारपन और 15 प्रतिशत अम्लता रहनी चाहिए। यदि शरीर में अम्लता अधिक होगी तो शरीर में रोग बहुत जल्दी होंगे। हमें अधिकांशत: क्षार प्रधान भोजन ही करना चाहिए। फल, दूध, सब्जी, अंकुरित अनाज, गुड़ आदि क्षार प्रधान खाद्य सामग्री हैं। अंकुरित अनाज को अपने आहार में कच्चा ही खाना चाहिए, यह एक अच्छा पौष्टिक नाश्ता हो सकता है। चावल-रोटी, तली-भुनी चीजें, पकौड़े, चाय, आलू, अम्लता देने वाले खाद्य सामग्री हैं। हमें अपने भोजन में इनका कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए।
हमें अपने भोजन में सलाद को जरूर शामिल करना चाहिए। इसमें विटामिन और खनिज लवण के साथ-साथ फाईबर भी मिलता है जो कब्ज नहीं होने देता जो कि बहुत से रोगों की जड़ है। गाजर, टमाटर, खीरा, प्याज, मूली, शलगम, ककड़ी, बंदगोभी, पालक, चुकन्दर आदि कच्चे खाये जा सकते हैं, सलाद के रूप में। दूध पीना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यह कैल्शियम का स्रोत है। स्वस्थ गाय का दूध सर्वश्रेष्ठ है, इससे कई रोगों से दूर रहा जा सकता है। वहीं छाछ या मट्ठा पाचन संबंधी रोगों से दूर रखते हैं।
प्राकृतिक रूप से ग्रहण किए जाने वले प्राय: सभी भोज्य पदार्थो में जीवन सत्व विद्यमान रहते हैं, परंतु जब हम उन्हें तेज आंच पर पकाते हैं तो उसकी अधिकांश पौष्टिकता, विटामिन और मिनरल्स नष्ट हो जाते हंै। इसलिए जो पदार्थ प्राकृतिक रूप से खाये जा सकते हैं उन्हें पका कर नहीं खाना चाहिए। हाल यह है कि हम भोजन के तत्वों को नष्ट कर लेते हैं और फिर उन्हीं तत्वों को हम पैसा खर्च करके दवाइयों या फिर मल्टीविटामिन्स सप्लीमेंटस के रूप में ग्रहण करते हैं जो शरीर को नुकसान भी पहुंचाती है। इसलिए जो पदार्थ कच्चे खाए जा सकंे उन्हंे थोड़ी मात्रा मंे प्रतिदिन खाते रहना चाहिए। कुछ ऐसे पदार्थ हैं जिनमें एक से अधिक तत्व रहते हैं, उन्हें अदल-बदलकर खाना चाहिए। हमारा भोजन इस तरह का होना चाहिए जिससे शरीर को आवश्यक सभी तत्वों को प्राप्ति होती रहे।
भोजन को लेकर हम बहुत लापरवाह रहते हैं। यह लापरवाही हम भोजन करते समय भी दिखाते हैं। ऑफिस का समय हो गया तो भोजन करना ही चाहिए यह एक प्रथा हो गई है। भूख लगी है या नहीं हमें इसकी परवाह नहीं होती। वास्तव में भोजन का समय तभी होना चाहिए जब हमें भूख लगे। तभी खाएं जब भूख से बेचैन हों। वह भी केवल उतनी मात्रा में जिससे भूख शांत हो जाए। हम कभी भी कम खाने से परेशान नहीं होते जितना की अधिक खाने से होते हैं। कम खाने से गैस नहीं बनती, पेट हल्का रहता है और भूख ठीक लगती है। भोजन हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से मन की एकाग्रता के साथ करना चाहिए। तभी वह भोजन हमारे लिए उपयोगी होगा और स्वास्थ्य को सुधारेगा। बार-बार खाने की आदत को छोड़ंे, इससे पेट पर व्यर्थ का बोझ पड़ता है। दिन में तीन बार ही खाना चाहिए। सुबह नाश्ता, दोहपर और रात का भोजन। शाम को कोई भी मौसमी फल या कोई हल्का पेय या जूस।
स्वास्थ्य के लिए फलों का सेवन आवश्यक है। हर मौसम के फल खाने चाहिए क्योंकि सभी फलों में अलग-अलग पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं। रसदार फल, संतरा, मौसमी, माल्टा, अनार, शहतूत, अनानास आदि लाभदायक हैं। इनसे शरीर को क्षारपन अधिक मिलता है और शरीर स्वस्थ रहता है। इससे पाचन तंत्रों को आराम मिलता है और उनमें पाचन शक्ति बनी रहती है। बार-बार चाय-बिस्कुट, पकौडे़ खाते रहना पेट पर अत्याचार ही होगा और भूख भी नहीं लगेगी।
यह सच है कि शरीर को मीठे की आवश्यकता है परंतु यह भी सच है कि प्रत्येक भोज्य पदार्थ में थोड़ी-बहुत मात्रा में मीठे तत्व होते हैं। यदि मीठी चीजें खाने में आपकी रुचि है तो आप शहद और गुड़ का सेवन कर सकते हैं। सफेद चीनी, मिठाई और मैदा का कम से कम सेवन करना चाहिए। चीनी के स्थान पर गुड़ या शहद लाभदायक है। शहद में कैंसर निरोधक तत्व होते हैं। चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिंक्स, तंबाकू, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। यह पाचन तंत्र को बिगाड़ देते हैं और शरीर में अम्लता पैदा करते हैं। बार-बार चाय पीना हानिकारक है। इससे प्यास मिट जाती है और पाचन तंत्र शक्तिहीन हो जाते हंै। वहीं सब्जियां हमेशा मौसमी और ताजी लेनी चाहिए। बासी सब्जियों के तत्व नष्ट हो जाते हैं। बेमौसम की सब्जियों और फलों में न ही स्वाद होता है, न ही पौष्टिक तत्व।
(लेखिका एम.डी. (होम्यो.) और स्त्री एवं बाल रोग विशेषज्ञ हैं।)
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