हुई राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में चयनित
अजय वर्मा
पटना। जलकुंभी से बनेगा सेनेटरी पैड? इस असंभव को संभव किया है नौंवी कक्षा की छात्रा कुमारी सलोनी ने। जांच की कसौटी पर भी यह खरा उतरा है। उसकी इस उपलब्धि पर राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस ने इस प्रोजेक्ट का चयन किया है। जान लें कि बाजार में उपलब्ध पैड बाजार में सॉफ्ट प्लास्टिक से बने होते हैं।
चार महीने की तैयारी से बन सका
सलोनी ने मुजफ्फरपुर के जलीय क्षेत्रों से घिरे मनियारी और आसपास इलाकों में उगने वाले जलकुंभी का प्रयोग कर नयी चीज बना दी है। वह सरकारी स्कूल MRS हाई स्कूल की छात्रा है। यह पैड प्लास्टिक की तुलना में बायोग्रेडेबल (जैवनिम्ननीय) और रसायनमुक्त है। जलकुंभी खुद प्राकृतिक रूप से रसनशील है। इससे बने पैड को कही भी फेंक देने से न तो पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा, न ही त्वचा को किसी तरह की एलर्जी। छात्रा ने यह प्रोजेक्ट अपने साइंस टीचर अल्का राय की देखरेख में किया है। करीब चार महीने से इस पर रिसर्च किया जा रहा था।
बैक्टीरिया मुक्त होगा यह पैड
रिसर्च में पाया गया है कि बनाने के काफी दिनों के बाद भी उस पैड पर बैक्टीरिया का प्रभाव नहीं था। यह प्लास्टिक के पैड का एक विकल्प साबित हो सकता है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस 2022 में शहर के दो छात्र अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत करेंगे। गुजरात के अहमदाबाद में होने वाले इस आयोजन में डीएवी के छात्र पुष्कल राज और कुमारी सलोनी का चयन किया गया है।
अवशोषण क्षमता भी अधिक
जलकुंभी के तने से बनी सैनिटरी पैड की लैब में टेस्टिंग भी की गई है। इसमें पाया गया है कि बाजार में पाए जाने वाले प्रोडक्ट की तुलना में इसमें अवशोषण क्षमता अधिक है। इंक टेस्टिंग कर बाजार के प्रोडक्ट और नए पैड की स्टोरेज क्षमता को चेक किया गया। पता चला कि बाजारू प्रोडक्ट की तुलना में इसकी अवशोषण क्षमता 10 ML ज्यादा है। माइक्रोस्कोपिक टेस्टिंग में भी फंगल ग्रोथ नहीं दिखाई पड़ा है।
ऐसे बनाया जलकुंभी से सैनिटरी पैड
पहले जलकुंभी काट कर धूप में सुखाया गया। फिर पत्तियां हटाकर तने को मिक्सी में पीसा जिससे यह भूसा की तरह हो गया। इसमें पानी मिला कर आयताकार केक की आकृति बनाई। फिर इसे धूप में सुखाया। 5 दिनों बाद इसमें से पूरा पानी निकल गया। फिर इसे रूई के दो लेयर के बीच रखा गया। सबसे नीचे वाले लेयर में लीक प्रूफ सील लगाया गया। A 4 साइज पेपर काट मोम पिघला कर उसे कवर किया गया। सबसे ऊपर चादर के कपड़े से इसकी सिलाई की गई।