नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। बेंगलुरु के एक निजी अस्पताल में एक व्यक्ति के सिर में लगभग 18 वर्षों से फंसे गोली को निकाल दिया है। गोली 29 वर्षीय युवक के बायीं कनपटी की हड्डी के अंदर गहराई में फंसी थी। इससे लगातार सिरदर्द रहने लगा और लगातार कान बहने लगा। अंततः वह बहरा हो गया। किसान परिवार के इस युवक को तब गाली लगी थी जब वह 10 साल का था। गोली तब लगी जब एक दुकान से घर लौटते समय वह दो परस्पर विरोधी समूहों के बीच झड़प में फंस गया।
ई-कचरा से भारी नुकसान
दुनियाभर में लगभग 1600 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया जा रहा है जिनमें से लगभग एक तिहाई यानी 530 करोड़ से ज्यादा मोबाइल फोन हर साल कचरे में फेंक दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय अपशिष्ट विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण फोरम (WEEE) की रिपोर्ट के मुताबिक यदि इन मोबाइल को एक के ऊपर एक रख दिया जाए तो इसकी ऊंचाई लगभग 50 किलोमीटर होगी जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से भी 120 गुना ऊंचा होगा। रिपोर्ट के अनुसार हर साल एक इंसान आठ किलो ई-वेस्ट उत्पन्न कर रहा है। इस तरह सालभर में 61.3 लाख टन ई-कचरा निकलता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की 2020 में जारी रिपोर्ट बताती है कि 2019-20 में भारत में लगभग 10.1 लाख टन ई-कचरा निकला था। इससे उत्पन्न गैस पर्यावरण के लिए खतरनाक है।
देश में टीबीरोधी दवा की कमी नहीं
देश में टीबी रोधी दवाओं की कोई कमी नहीं है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत पूरे साल केंद्र की ओर से सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को टीबी रोधी दवाओं की नियमित आपूर्ति होती रही है और केंद्रीय गोदामों से लेकर परिधीय स्वास्थ्य संस्थानों तक विभिन्न स्तरों पर स्टॉक की स्थिति पर नजर रखने के लिए नियमित मूल्यांकन किया जाता है। इसके अलावा, आपातकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों को सीमित मात्रा में स्थानीय खरीद के लिए संसाधनों का प्रावधान किया गया है। मंत्रालय की विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गयी है।