नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। कोरोना वायरस का संक्रमण एक बार फिर से फैलने लगा है। यूके, अमेरिका और भारत समेत कई देशों में कोरोना के नए वैरिएंट e.g.5.1 की हाल ही में पुष्टि हुई है। दुनिया में हाल के महीनों में कोरोना के 80 फीसद मामले बढ़े हैं।
तेजी से जेनेटिक बदलाव
इस वैरिएंट को वैज्ञानिकों ने एरिस (Eris Variant) नाम दिया है। WHO ने कोरोना के इस नए वैरिएंट को वैरिएंट ऑफ इंटेरेस्ट की केटेगरी में डाला है। किसी भी वायरस को वह वैरिएंट ऑफ इंटेरेस्ट तभी कहता है, जब उस वायरस में जेनेटिक बदलाव या म्यूटेशन होता है। एरिस वैरिएंट में लगातार जेनेटिक बदलाव हो रहा था। भारत में भी इस वैरिएंट के मामले मिल चुके हैं। WHO के मुताबिक कम टेस्टिंग और ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट से आंकड़ा बढ़ा है।
एरिस को माना जा रहा सबसे संक्रामक
e.g.5.1 या एरिस वैरिएंट से कई देशों में संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई है। कोरोना के अब तक सामने आये सभी वैरिएंट में इसेे सबसे ज्यादा संक्रामक माना जा रहा है। यह तेजी से म्यूटेट हो रहा है और इसमें जेनेटिक बदलाव भी हो रहे हैं। एरिस वैरिएंट ओमिक्रोन के XBB वैरिएंट का ही एक सब टाइप है। इससे संक्रमित होने पर दिखने वाले लक्षण भी ओमिक्रोन जैसे ही हैं। हालांकि, ओमिक्रोन के XBB वैरिएंट की तुलना में यह 45 गुना ज्यादा संक्रामक बताया जा रहा है।
भारत में हो चुका दाखिल
वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस वैरिएंट का संक्रमण दूसरे वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैल सकता है और वैक्सीन का भी असर कम हो रहा है। मई में ही एरिस का पहला मामला महाराष्ट्र में मिला था। अगस्त के पहले सप्ताह तक भारत में एरिस के 116 मामले सामने आए हैं।
कोई खास लक्षण नहीं
कोरोना के वैरिएंट से संक्रमित होने पर मरीजों को कोई विशेष लक्षण नहीं दिखते हैं। सिर्फ कोरोना के आम लक्षण दिखाई देते हैं। ज्यादातर मरीजों में बुखार, सिरदर्द, खांसी, शरीर में थकान और कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं। गंभीर रूप से संक्रमित होने वाले मरीजों में नाक बहना, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।