एसबीए डेस्क
किसी भी देश के लिए स्वास्थ्य एक बहुत बड़ा मसला होता है। लेकिन भारत में स्वास्थ्य का मसला राज्य व केन्द्र सरकारों के बीच लटक कर रह जाता है। इसका ताजा उदाहरण है केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री श्रीपद येशो नायक का राज्यसभा दिया गया वह लिखित उत्तर जिसमें उन्होंने कहा है कि केन्द्र सरकार राज्य सरकारों द्वरा कैंसर मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं की निगरानी नहीं करती।
मंत्री जी का उत्तर
कैंसर ग्रस्त बच्चों का केंद्र और राज्य सरकारों के विभिन्न सरकारी चिकित्सालयों में नि:शुल्क या रियायती दरों पर उपचार किया जाता है। सरकारी स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के विभिन्न स्तरों पर कैंसर का निदान और उपचार किया जा सकता है। इसलिए विभिन्न राज्यों के लिए इस प्रकार की सुविधाओं की केंद्रीय निगरानी नहीं की जाती है। केंद्र सरकार कैंसर के उपचार के लिए देश के विभिन्न भागों में केंद्र सरकार के अस्पतालों और संस्थानों जैसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान,सफदरजंग अस्पताल, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल, पीजीआईएमईआर चंडीगढ़, जेआईपीएमईआर पुद्दुचेरी,चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर संस्थान, कोलकता आदि में सुविधा प्रदान करती है। नए एम्स की स्थापना और प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना
( पीएमएसएसवाई ) के अंतर्गत ओंकोलोजी के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान की स्थापना और चितरंजन राष्ट्रीय कैंसर इंस्टीटयूट, कोलकाता के दूसरे कैम्पस के विकास के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। कैंसर रोगियों के उपचार के लिए पूर्ववर्ती राष्ट्रीय कैंसर नियत्रंण कार्यक्रम
( एनसीसीपी) के अंतर्गत 27 क्षेत्रीय कैंसर केंद्र की मान्यता और सहायता प्रदान की गई है। (सोर्स-पीआईबी)
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