विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर डॉ. हर्षवर्धन ने कहा- ‘जब भारत तय कर लेता है, भारत करके दिखाता है’
इस अवसर पर मैं टीबी मुक्त भारत का आह्वान करता हूं और देश के सभी नागरिकों से इस मौके पर आगे आने की अपील करता हूं ताकि 2025 तक टीबी को खत्म करने के भारत के संकल्प को जन आंदोलन बना दिया जाए- डॉ. हर्षवर्धन
“वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत के टीबी कार्यक्रम में केवल 18.04 लाख से अधिक टीबी मरीज सामने आए”
देश में लक्षद्वीप (यूटी) और बडगाम जिला (जम्मू-कश्मीर) टीबी मुक्त घोषित होने वाली पहली जगहें
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज यहां डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे के साथ ‘विश्व क्षय रोग दिवस’ समारोह का उद्घाटन किया।
इस आयोजन में नीति आयोग के सदस्य स्वास्थ्य डॉ. विनोद पॉल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री राजेश भूषण, डीएचआर सचिव एवं आईसीएमआर महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव और भारत के विश्व स्वास्थ्य संगठन में प्रतिनिधि डॉ. रोडरिको एच ऑफरिन समेत अन्य वरिष्ठ गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
इस आयोजन को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “भारत में विश्व के क्षय रोग के 30 प्रतिशत मरीज हैं। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने 2025 तक क्षय रोग को समाप्त करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। हमने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रतिबद्धताओं का समर्थन संसाधनों के साथ किया जाए। भारत में टीबी के लिए बजट आवंटन में पिछले 5 वर्षों में चार गुना वृद्धि देखी गई है। उच्च-गुणवत्ता वाली दवाओं, डिजिटल तकनीक, निजी क्षेत्र और समुदायों के बीच स्वास्थ्य प्रणाली के भीतर सभी स्तरों पर टीबी सेवाओं को एकीकृत करके देश में टीबी की घटनाओं और मृत्यु दर में तेजी से गिरावट लाने के लिए इनका इस्तेमाल किया गया है।”
अपने राज्य के टीबीआई सूचकांक के आधार पर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को पुरस्कार भी दिए गए। लक्षद्वीप (यूटी) और बडगाम जिले (जम्मू-कश्मीर) को टीबी मुक्त घोषित किया गया।
पुरस्कार प्राप्त करने वालों को पदक और प्रमाण पत्र वितरित करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि एक केंद्र शासित प्रदेश और एक जिले को टीबी मुक्त घोषित किया गया है। यह भारत से टीबी उन्मूलन के एक बड़े सपने की दिशा में एक प्रारंभिक कदम है। मुझे विश्वास है कि अगले वर्ष हमारे पास अधिक राज्य, केन्द्र शासित प्रदेश और जिले होंगे जो टीबी मुक्त होने का दावा पेश करेंगे। पिछले कुछ वर्षों में देश ने टीबी उन्मूलन की दिशा में निश्चित कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के निरंतर प्रयासों से टीबी सूचनाओं में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है और समय पर निदान, पालन और उपचार परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार हुए हैं। यह एक उत्साहजनक संकेत है और यह दर्शाता है कि अब हमारे पास टीबी रोगियों तक बेहतर पहुंच है और सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के रोगियों को मुफ्त उपचार प्रदान करने की क्षमता है। पिछले कुछ वर्षों में हमने टीबी के लिए भारत की नैदानिक क्षमता में काफी वृद्धि की है और अब हमारे पास प्रत्येक जिले में कम से कम एक रैपिड मोलेक्यूलर डायग्नोस्टिक सुविधा उपलब्ध है और हम इसे ब्लॉक स्तर तक विकेंद्रीकृत करने का लक्ष्य बना रहे हैं।
“विश्व क्षय रोग दिवस के इस अवसर पर, मैं टीबी मुक्त भारत का आह्वान करता हूं और यहां मौजूद आप लोगों से और इस देश के सभी नागरिकों से इस अवसर पर आगे आने की अपील करता हूं ताकि हम सब मिलकर 2025 तक टीबी को खत्म करने के भारत के संकल्प को जन आंदोलन बनाकर पूरा करें। उन्होंने कहा कि हम एक साथ मिलकर आगे बढ़ें, संकल्प लें और सही मायने में सुनिश्चित करें कि हमारा देश अगले चार वर्षों में इस बीमारी को हरा दे।”
कोविड-19 महामारी के बावजूद वर्ष 2020 में टीबी के सामने सफलता का विवरण देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, “वर्ष 2020 ने टीबी के इलाज की दिशा में कुछ असफलताएं देखी हैं, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत के टीबी कार्यक्रम में 18.04 लाख से अधिक टीबी मरीज सामने आए। उत्साहजनक रूप से अप्रैल-जून की लॉकडाउन अवधि के बाद कई अभिनव रणनीतियों को लागू करके यह कार्यक्रम अपने पूर्व-कोविड स्तर पर वापिस आने में कामयाब रहा है और माननीय प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप 2025 तक टीबी को समाप्त करने के लिए वापस ट्रैक पर है। जब भारत फैसला कर लेता है तो , भारत करके भी दिखाता है। देश भर में कोविड-19 और टीबी दोनों की जांच के लिए स्वदेशी रूप से विकसित लागत प्रभावी, पॉइंट-ऑफ-केयर मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक मशीनों को तैनात किया गया था। कई राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों ने घर-घर कोविड-19 स्क्रीनिंग अभियानों का लाभ उठाया और कोविड निगरानी रणनीतियों के साथ-साथ टीबी को भी एकीकृत किया गया।”
इस बात पर बल देते हुए कि कैसे सार्वभौमिक उपलब्धता और स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच सही निदान, शीघ्र उपचार, देश में यूनिवर्सल टीबी केयर कवरेज और निवारक सेवाओं में तेजी लाने में मदद कर सकती है। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य टीबी के मामलों का जल्द पता लगाना और नए मामलों को पनपने से रोकना है। समुदाय सहित विभिन्न हितधारकों साथ लाकर टीबी देखभाल का विस्तार करके टीबी को व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का एक अनिवार्य हिस्सा बनाया गया है और अब इसे आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) के साथ एकीकृत किया गया है, जो दुनिया में सबसे बड़ा व्यापक स्वास्थ्य देखभाल और स्वास्थ्य सुरक्षा कार्यक्रम है। हमारा आत्मनिर्भर भारत मॉडल संपूर्ण भारतीय स्वास्थ्य सेवा के तंत्र को बदलने पर केंद्रित होगा।”
उन्होंने आगे कहा, “हम महामारी के प्रभाव को कम करने और खोई हुई गति को पुनः प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। कोविड-19 से प्राप्त अनुभव को टीबी उन्मूलन के उद्देश्य को प्राप्त करने में दोहराया जा सकता है। जिस पैमाने पर भारत ने कोविड-19 का परीक्षण एक दिन में सिर्फ कुछ परीक्षणों से बढ़ाकर एक दिन में दस लाख से अधिक कर लिया, वह सराहनीय है। हम टीबी में भी परीक्षण बढ़ाने के लिए इस अनुभव को अनुकूलित कर सकते हैं। न केवल हमने अपने देश में 5 करोड़ से अधिक खुराकें दी हैं, बल्कि हमने कई अन्य देशों को भी टीके निर्यात किए हैं। हमने टीबी और कोविड-19 स्क्रीनिंग के एकीकरण, प्रयोगशाला सेवाओं, निदान और उपचार क्षमता उन्नयन और स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में टीबी का परीक्षण और टीबी जांच में पाए गए मरीजों की कोरोना जांच की रणनीति को इस बीमारी की निगरानी और इसके मामलों को बढ़ने से रोकने के प्रयास के रूप में अपनाया है। “
श्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा, ”आज विश्व क्षय रोग दिवस के अवसर पर, मैं आप सभी को बधाई देता हूं जो आज इस महत्वपूर्ण घटना के साक्षी बने हैं। भारत ने हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के गतिशील और सक्षम नेतृत्व में टीबी को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। मैं टीबी चैंपियन की सराहना करता हूं जिन्होंने इस बीमारी के खिलाफ अपनी लड़ाई जीती है और अब अपने प्रयासों से समाज को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। मैं सभी नेताओं से इसे जन आंदोलन बनाने की अपील करता हूं। आज, भारत कोविड-19 मापदंडों के मामले में अधिकांश देशों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। यह वास्तव में हमारे प्रधानमंत्री के सफल नेतृत्व का परिणाम है। मुझे विश्वास है कि हम टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई में भी सफल होंगे।”
नीति आयोग सदस्य (स्वास्थ्य), डॉ. वी.के. पॉल ने कहा, “यह वास्तव में उल्लेखनीय दिन है। कोविड के तनाव के बावजूद, टीबी के प्रयासों को मजबूत करने के लिए यात्रा जारी रही। कोविड-19 ने हमें कई सबक सिखाए हैं। हमने अपना व्यवहार बदलना सीख लिया है। हमने मास्क पहनने से जुड़ी भ्रांतियों को तोड़ दिया है। यह हमें व्यक्तिगत और समाज में अन्य व्यवहार परिवर्तन लाने में सक्षम बनाता है।”
भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. रोडेरिको एच ऑफरीन ने कहा, “इस साल विश्व टीबी दिवस की थीम ‘टिक-टिक चलती एक घड़ी’ है। टीबी को समाप्त करने के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए हमें कोविड-19 के कारण पिछले वर्ष के दौरान मिली असफलता का उपयोग करना चाहिए। भारत ने टीबी को समाप्त करने के लिए एक जन आंदोलन शुरू किया है और इस प्रतिबद्धता को बजटीय आवंटन, बुनियादी ढांचे और संसाधनों द्वारा समर्थित किया गया है। प्रयास लगभग दोगुने हो गए हैं। केंद्रीय स्तर पर टीबी पहलों को राज्यों, जिलों, ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तरों तक सीमित कर दिया गया है।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री हर्षवर्धन और राज्य मंत्री श्री चौबे ने इस दौरान कई रिपोर्ट जारी कीं। इंडिया टीबी रिपोर्ट 2021, ड्रग-रेसिस्टेंट टीबी के प्रोग्रामेटिक प्रबंधन के लिए दिशानिर्देश, 2021, टीबी से संबंधित भेदभाव और भ्रांतियों को खत्म करने के लिए रणनीति पर एक गाइडेंस डॉक्युमेंट, गर्भवती महिलाओं में टीबी के प्रबंधन के लिए सहयोगात्मक ढाँचा, लिंग के आधार पर भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण आदि रिपोर्ट्स इसमें शामिल थीं। इस कार्यक्रम में आईडिफीट टीबी प्रोजेक्ट और कॉर्पोरेट टीबी प्रतिज्ञा के साथ नागरिकों/ टीबी रोगियों के लिए टीबी आरोग्य साथी ऐप भी लॉन्च की गई। टीबी आरोग्य साथी ऐप एक ऐसा प्लेटफॉर्म होगा जहां टीबी से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध होगी।
इस दौरान पांच टीबी चैंपियनों को पुरस्कृत भी किया गया। कार्यक्रम में दो टीबी चैंपियन ने भी अपनी कहानियों को साझा भी किया।
बाद में डॉ. हर्षवर्धन ने आज एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से टीबी के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा, “क्षय रोग दुनिया का सबसे घातक संक्रामक जानलेवा रोग है। हर दिन 4000 लोग टीबी से अपनी जान गंवाते हैं और 30,000 के करीब बीमार पड़ जाते हैं. यह तब होता है जब टीबी एक रोके जाने योग्य और इलाज योग्य बीमारी है।”
श्री सुनील कुमार, डीजीएचएस, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, सुश्री आरती आहूजा, अतिरिक्त सचिव (एनटीईपी), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री विकास शेल भी इस दौरान उपस्थित थे।