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भारतीय ‘रणनीति’ से हारेगा कोरोना

कुछ लोगों की लापरवाही एवं ‘अभारतीय प्रवृति’ भारत की कोरोना से लड़ाई में एक प्रमुख बाधा बनकर सामने आई है। इस बाधा को दूर करने के लिए भी भारत सरकार एवं अन्य राज्य सरकारें युद्ध स्तर पर क्रियाशील दिख रही हैं। जिसका असर यह हुआ है कि आज भी भारत में यह महामारी दुनिया के देशों के मुकाबले कमतर प्रभाव छोड़ पा रही है।

आशुतोष कुमार सिंंह
कोरोना की भयावहता जगजाहिर है। वैश्विक स्तर पर 50 हजार से ज्यादा लोगों को यह सूक्ष्म जीव निगल चुका है। यह दिख नहीं रहा है लेकिन अपनी शक्ति का एहसास सभी शक्तिशाली शक्तियों को करा चुका है। दुनिया के कथित रूप से विकसित देश भी इस कोरोना का कुछ खास नहीं कर पाए हैं। रूदन का स्वर पूरी दुनिया में समान रूप से गूंज रहा है। ऐसी विकट स्थिति में बहु-आबादी वाले भारत के लिए अपनी आबादी को सुरक्षित रखना एक बहुत ही बड़ी चुनौती है।

भारत सरकार तैयार है

इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार लगातार सक्रीय है। यह ऐसी महामारी है जिसमें खुद को दूसरों से दूर रखना ही इसकी दवाई है। भारत ने इस दवाई को लगभग पूरी तरह से अपना लिया है। वावजूद इसके कुछ लोगों की लापरवाही एवं ‘अभारतीय प्रवृति’ भारत की कोरोना से लड़ाई में एक प्रमुख बाधा बनकर सामने आई है। इस बाधा को दूर करने के लिए भी भारत सरकार एवं अन्य राज्य सरकारें युद्ध स्तर पर क्रियाशील दिख रही हैं। जिसका असर यह हुआ है कि आज भी भारत में यह महामारी दुनिया के देशों के मुकाबले कमतर प्रभाव छोड़ पा रही है।

भारत का प्रत्येक नागरिक सैनिक बन चुका है

भारत की कोरोना से जंग में देश का प्रत्येक नागरिक सैनिक बन चुका है। देश के लगभग 95 फीसद लोग इस लड़ाई में घर में रहकर, इसे मात देने में जुटे हैं। बाकी 5 फीसद लोग इस लड़ाई में फ्रंटफूट से लड़ रहे हैं। इनमें देश के चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट, औषधि केन्द्र संचालक, दैनिक जरूरत को पूरा करने वाले दुकानदार, स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सामूहिक भोजनालय चलाने वाले समाजसेवी, पुलिस प्रशासन एवं सेना सब के सब बाकी 95 फीसद भारतीयों की सेहत की रक्षा के लिए ‘कवच-कुंडल’ बनकर सामने आए हैं। आइए जानते है भारत के तरकस में कोरोना से लड़ने के लिए किस-किस तरह के वाण हैं।

रेल के डिब्बों में बनेंगे 3.2 लाख आइसोलेशन बेड

कोरोना वायरस से जंग के बीच चीन ने 15 दिन में 1000 बेड का हॉस्पिटल तैयार कर सबको हैरानी में डाल दिया था। अब जब भारत पर कोरोना का खतरा मंडरा रहा है तो देश उससे बड़े स्तर पर तैयारियों में जुट गया है। बुरी स्थिति के लिए रेलवे के कोचों को आइसोलेशन वॉर्ड में बदला जा रहा है जिससे 3.2 लाख से ज्यादा बेड की व्यवस्था हो जाएगी। ध्यान देने वाली बात यह है कि रेलवे ने गुजरात में सिर्फ 6 दिन में कुल 2200 बेड के हॉस्पिटल बनाए गए थे। ये हॉस्पिटल अहमदाबाद, राजकोट, सूरत और वडोदरा में बने थे। इससे यह उम्मीद जगी है कि रेलवे भी इस काम को जल्द ही पूरा कर लेगा।

भारत में बना 50,000 रुपये में वेंटिलेटर

महाराष्ट्र के पुणे से एक अच्छी खबर आई है। पुणे एनओसीसीए रोबोटिक्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने 12 घंटे में पोर्टेबल वेंटीलेटर तैयार किया है। खास बात यह है कि इस वेंटीलेटर की शुरुआती कीमत 50 हजार रखी गई है। एनओसीसीए के फाउंडर हर्षित राठौड़ ने बताया कि यह वेंटिलेटर खासतौर पर कोरोना मरीजों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। नार्मल वेंटीलेटर में कई अन्य फीचर होते हैं जो इसमें नहीं होंगे। ये वेंटिलेटर पोर्टेबल हैं। अभी तक 2 वेंटीलेटर का निर्माण कर लिया और आने वाले एक सप्ताह में 20-30 वेंटीलेटर बनाने की तैयारी है।

कोरोना टेस्टिंग किट बनाने के लिए एक और स्वदेशी कंपनी आगे आई

भोपाल से भी एक अच्छी खबर सामने आई है। यहां के गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया स्थित कंपनी किलपेस्ट इंडिया लिमिटेड ने कोरोना वायरस (कोविड-19) की टेस्टिंग किट (ट्रू पीसीआर) बनाई है। इसे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने मान्यता दे दी है। कोविड-19 का टेस्ट किट बनाने वाली यह देश की दूसरी कंपनी बन गई है। इस किट से ढाई घंटे में कोविड-19 की जांच की जा सकेगी। रोजाना के 10 हजार के हिसाब से एक महीने में 3 लाख टेस्ट किट उपलब्ध कराई जा सकेंगी। आईसीएमआर इससे पहले देश में पुणे की माईलैब के टेस्ट किट को एप्रूवल दे चुकी है।
किलपेस्ट इंडिया के रिसर्च एंड डेवलपमेंट हेड डॉ. अखिलेश रावत ने बताया कि यह रियल टाइम पीसीआर डिटेक्शन किट है। इस किट का परीक्षण करने के लिए एनआईवी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी) को 31 मार्च को भेजा गया था। यहां इस टेस्ट किट पर 100 कोरोना पॉजिटिव और 100 निगेटिव लोगों का टेस्ट किया गया। दोनों तरह से टेस्ट सफल होने के बाद इसे मान्यता मिली। कंपनी के डायरेक्टर धीरेंद्र दुबे का कहना है कि इस किट से परीक्षण करने के लिए सरकार पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। नए उपकरण खरीदने की जरूरत नहीं होगी। वर्तमान संसाधन ही पर्याप्त हैं। इस किट से होने वाली जांच की कीमत हजार रुपये से कम होगी।

डीआरडीओ बना रहा है ‘बायो सूट’

भारत के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संस्थान डीआरडीओ ने कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टरों सहित चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा के लिए ‘‘बायो सूट’’ विकसित किया है। अधिकारियों ने बताया कि रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) की विभिन्न प्रयोगशालाओं में कार्यरत वैज्ञानिकों ने मिलकर ‘‘बायो सूट’’ विकसित किया है जो चिकित्सा पेशेवरों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की तरह काम करेगा। उन्होंने बताया कि पूरे देश में पीपीई की बढ़ती मांग को देखते हुए प्रतिदिन कम से कम 15,000 बायो सूट का उत्पादन करने के लिए कदम उठाया जाएगा।
ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत कोरोना वायरस संक्रमितों का इलाज करने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिक कर्मियों के लिए पीपीई की कमी का सामना कर रहा है। इतना ही नहीं संकट की इस घड़ी में डीआरडीओ विभिन्न सुरक्षा प्रतिष्ठानों और संगठनों को पूरे देश में डेढ़ लाख सेनेटाइजर की आपूर्ति कर रहा है। मीडिया रपटो कि माने ते पांच परत वाले मास्क एन-99 नैनो टेक्नोलॉजी के आधार बनाये गये हैं और युद्ध स्तर पर इसका उत्पादन किया जा रहा है। 10 हजार मास्क पहले ही बनाये जा चुके हैं और जल्द ही रोजाना 20 हजार ऐसे मास्क का उत्पादन किया जाएगा। डीआरडीओ प्रयोगशाला ने दिल्ली पुलिस को 40 हजार मास्क की आपूर्ति की है।

डब्ल्यूएचओ है भारतीय तैयारियों से खुश

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोनावायरस से मुकाबले के लिए भारत की कोशिशों की तारीफ की है। मीडिया से बातचीत करते हुए कोविड-19 के लिए डब्ल्यूएचओ के विशेष प्रतिनिधि डॉ. डेविड नवारो ने देश में जारी लॉकडाउन का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों ने जहां कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया, वहीं भारत में इस पर तेजी से काम हुआ। उन्होंने कहा कि भारत में गर्म मौसम और मलेरिया के चलते भारत के लोगों में बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता है। हम उम्मीद करेंगे उनका शरीर कोरोना को हरा दे।
कोरोना से संबंधित एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि, ‘बीमारी को गंभीरता से लेने के लिए भारत के लोगों का शुक्रिया। भारत के पास इससे मुकाबला करने की अद्भुत क्षमता है। आपके देश ने सख्त कदम उठाए। लोगों को संक्रमण और बचाव की जानकारी दी। पूरी दुनिया इस वक्त अभूतपूर्व संकट का सामना कर रही है। यह खामोशी से हमला करने वाला दुश्मन है। मुझे खुशी है कि भारत ने तुरंत एक्शन लिया। सरकार की पूरी मशीनरी ने मिलकर काम किया। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक साथ आए।’

हम होंगे कामयाब

इस तरह देखा जाए तो भारत कोरोना-वॉर से लड़ने के लिए सभी मोर्चों पर मोर्चाबंदी कर रहा है। सरकार-जनता का सार्थक गठजोड़ कोरोना के बन रहे अनवरत गठजोड़ को तोड़ने में जरूर कामयाब होंगे। भारत की एकजुटता से कोरोना को रोते हुए भागना पड़ेगा और हम कोरोना-वॉर में विजयी होंगे। जरूर होंगे।

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