नयी दिल्ली। विधि विज्ञान प्रयोगशाला (FSL), दिल्ली और राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU), गांधीनगर के बीच प्रशिक्षण, तथा अनुसंधान के साथ शैक्षणिक आदान-प्रदान करने के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) हुआ। अब दोनों संस्थायें प्रशिक्षण और अनुसंधान के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगी। राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जे. एम. व्यास की उपस्थिति में श्रीमती दीपा वर्मा, निदेशक, विधि विज्ञान प्रयोगशाला, दिल्ली एवं श्री सी.डी.जाडेजा, एक्जिक्युटिव रजिस्ट्रार, NFSU ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
मामले सुलझाने में सहायक
समझौता ज्ञापन में अकादमिक और वैज्ञानिक हितों के क्षेत्रों में वैज्ञानिक और शैक्षणिक कर्मियों के आदान-प्रदान और सहकारी अनुसंधान की परिकल्पना की गई है। इससे विशिष्ट परियोजनाओं और कार्यक्रमों के विकास के माध्यम से अच्छी तरह से एकीकृत सहयोगी फोरेंसिक केंद्रित अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की निदेशक दीपा वर्मा कहती हैं, ‘‘ राष्ट्रीय महत्व के इस संस्था के साथ जुड़ने से हम खुश है। प्रयोगशाला और अकादमिक के बीच यह घनिष्ठ संबंध सुनिश्चित करेगा कि बौद्धिक पूंजी और उभरती हुई प्रौद्योगिकियों को एक साथ लाकर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के तकनीकों की सहायता से आपराधिक मामलों को सुलझाया जा सके, आपराधिक मामले के परीक्षण और रिपोर्टिंग की गुणवत्ता में और सुधार हो। संयुक्त उद्यम गुणवत्ता और वैधता सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त वैज्ञानिक तरीके विकसित किया जाएगा। जिसमें अपराधी को सजा और निर्दोष को न्याय मिल सके। यह एक ऐसा वातावरण बनाने में भी मदद करेगा जो नवाचार और सीखने के लिए अनुकूल होगा।’’
पारस्परिक सहयोग मिलेगाः डॉ. व्यास
राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. जे. एम. व्यास ने बताया कि यह समझौता-ज्ञापन शिक्षण, प्रशिक्षण एवं संशोधन क्षेत्र में उच्च मानदण्ड के साथ कौशल्य विकसित करने में सहायक बनेगा। यह दोनों संगठनों के लिए एक पारस्परिक सहयोग प्रदान करता है। फोरेंसिक विज्ञान में तकनीकी उन्नयन, नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए यह घनिष्ठ सहयोग छात्र समुदाय के लिए प्रमुख लाभ होगा।
समन्वय करना महत्वपूर्णः डॉ. रजनीश
इस तरह के सहयोग की आवश्यकता पर जोर देते हुए, विधि विज्ञान प्रयोगशाला के सहायक जनसंपर्क अधिकारी डॉ. रजनीश सिंह ने कहा कि ‘‘ व्यापक दृष्टिकोण से, विश्वविद्यालय और विधि विज्ञान प्रयोगशाला के बीच के सहयोग और समन्वय पर विचार करना बहुत महत्वपूर्ण है। अत्याधुनिक प्रयोगशाला, जहां आधुनिक उपकरणों के साथ साक्ष्य का अध्ययन किया जाता है, ऐसे में राष्ट्रीय महत्व के संस्था के साथ शिक्षण, प्रशिक्षण और अनुसंधान का अवसर, निश्चित ही एक सुदृढ़ आधार के निर्माण में सहायक होगा, जिससे अंततोगत्वा सम्पूर्ण न्याय प्रणाली को लाभ मिलेगा।