स्वस्थ भारत मीडिया
समाचार / News

‘देश के लिए सौगात हैं नयी भू-स्थानिक नीतियां’

नई दिल्ली, 22 मार्च 2021, (इंडिया साइंस वायर):  भारत सरकार ने हाल में भू-स्थानिक नीति और मानचित्र के मोर्चे पर उदारीकरण की शुरुआत की है, जिसे देश की अंतरिक्ष नीति में एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़ी हस्तियों ने भी इसे स्वागतयोग्य बताया है। इसी सिलसिले में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान अंतरिक्ष विभाग के सचिव एवं अंतरिक्ष आयोग के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने इसे देश के लिए एक बड़ी सौगात बताया है। उन्होंने कहा कि भू-स्थानिक नीति से देश के प्रत्येक क्षेत्र को लाभ पहुंचेगा और इससे शासन यानी गवर्नेंस में सुधार के साथ ही देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी। । डॉ. सिवन ने भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित ‘डिस्कोर्स सीरीज’ (विमर्श श्रंखला) में यह बातें कही हैं। 
स्वर्ण जयंती आयोजन के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद् (एनसीएसटीसी) और विज्ञान प्रसार के तत्वावधान में ‘भारत की अंतरिक्ष क्षमता: भूस्थानिक नीति और मानचित्रण’ विषयक चर्चा- परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस मंच पर डॉ. सिवन ने कहा, ‘भू स्थानिक डाटा को उदार बनाने वाली नई नियमावली एक साहसिक एवं पथप्रदर्शक कदम है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में अवसरों की राह खुलेगी।’
अंतरिक्ष क्षेत्र की संभावनाओं पर आधारित ‘अनलॉकिंग इंडियाज स्पेस पोटेंशल’ विषयक अपने व्याख्यान में डॉ. सिवन ने कहा कि अंतरिक्ष आधारित रिमोट सेंसिंग नीति और उदारीकृत भू-स्थानिक नीति मिलकर देश के लिए करिश्मा करने वाली हैं। इससे संभावनाओं की नई राहें खुलेंगी और देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद मिलेगी। डॉ. सिवन ने कहा, ‘सभी क्षेत्रों में विकास संबंधी गतिविधियों के लिए भू-स्थानिक डाटा आवश्यक है और शासन संचालन में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है।’
इस बाबत भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं पर डॉ. सिवन ने कहा, ‘हम अंतरिक्ष तकनीक में अपने स्तर पर सक्षम हैं। भारत पहला ऐसा देश है जो घरेलू कार्यक्रमों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं कार्यक्रमों का उपयोग कर रहा है और हमारा पूरा ध्यान स्वदेशी तकनीकों के विकास के साथ ही इस पहलू पर भी है कि ये तकनीकें लागत के स्तर पर किफायती भी हों।’ भारत की अंतरिक्ष संभावनाओं को भुनाने के लिए उन्होंने इस पहलू को महत्वपूर्ण बताया।
इस अवसर पर डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि भू-स्थानिक नीति में उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर व्यापक रूप से सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इससे जहां एक लाख करोड़ रुपये की अर्थव्ववस्था के सृजन की संभावना है वहीं इसके माध्यम से भविष्य में लाखों की संख्या में रोजगार के नए अवसर भी सृजित हो सकेंगे। प्रोफेसर शर्मा ने कहा, ‘इससे तत्काल रूप से लाभान्वित होने वाले क्षेत्रों में से कृषि क्षेत्र प्रमुख होगा। विशेषकर स्वामित्व जैसी योजना ग्रामीण आबादी और अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी। इससे वर्षों से अटके हुए भूमि विवादों का समाधान होने होने की संभावना है।’ प्रोफेसर शर्मा ने यह भी कहा कि भारतीय उद्योग जगत और सर्वे एजेंसियों को भी इस नीति से बहुत लाभ होगा और इसमें उनके लिए सुरक्षा संबंधी जोखिम भी नहीं रह जाएंगे। 
इसके साथ ही सरकार ने अंतरिक्ष आधारित जो नई रिमोट सेंसिंग नीति की गाइडलाइन जारी की है, उसका लक्ष्य देश में इससे जुडे़ विभिन्न अंशभागियों को प्रोत्साहित करना है ताकि वे अंतरिक्ष आधारित रिमोट सेंसिंग गतिविधियों में सक्रिय रूप से भागीदारी कर सकें और देश में अंतरिक्ष तकनीक के व्यावसायीकरण की संभावनाएं बढ़ें।

Related posts

राजस्थान से बाहर भी करवा सकेंगे Free Organ Transplant

admin

आर्थिक समीक्षा : स्वास्थ्य देखभाल सेवा हुई किफायती और सुलभ

admin

सस्ती होगी कैंसर की दवा, GST दर में कटौती

admin

Leave a Comment