नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने वर्चुअल माध्यम से दक्षिणी क्षेत्र के बेंगलुरू में आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) का शिलान्यास किया।
ICMR की भूमिका अहम
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने प्रभावी कोविड प्रबंधन के लिए अनुकरणीय सहायता प्रदान की है और अपने अनुसंधान बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रही है। इसके अलावा पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) भी विषाणु विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। यह और अच्छा है कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सहयोगी प्रयोगशालाओं में से एक के रूप में नामित किया गया है।
स्वदेशी टीके से टीकाकरण सराहनीय
उन्होंने देश में निर्मित टीकों से सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की सराहना की। उन्होंने आगे कहा-महामारी से निपटने में हमारी उपलब्धियां कई विकसित देशों की तुलना में बेहतर रही हैं। इस उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं।
देश को मिला स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीक का लाभ
स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा किं भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीक का लाभ उठाया है, जिससे किसी भी प्रकोप की शुरुआती चरण में जांच की जा सके और इसे रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा सके। यह नया एनआईवी हमारी स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक कदम आगे है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (PM-ABHIM) के तहत पूरे देश में जैव-सुरक्षा तैयारियों और महामारी अनुसंधान को मजबूत करने के लिए 4 क्षेत्रीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) सहित बहुक्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थानों और प्लेटफार्मों को स्थापित करने के लिए धनराशि की मंजूरी दी गई है।