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कोविड-19 से निपटने में महत्वपूर्ण हो सकता है आनुवांशिक अनुक्रमण

कोविड-19 का समाधान खोजने में सीएसआईआरप्रयोगशालाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी के बाद डॉ हर्षवर्धन ने उन्हें इसका मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।

उमाशंकर मिश्र
Twitter handle : @usm_1984
नई दिल्ली, 13 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर):
“आनुवांशिक अनुक्रमण वायरस के प्रति वाहक की प्रतिक्रिया का पता लगाने के साथ-साथ बीमारी के प्रति जनसंख्या की संवेदनशीलता की पहचान करने में भीबेहद महत्वपूर्ण हो सकता है।” यह बात स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ हर्ष वर्धन ने कही है। वह वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा कोविड-19 के संदर्भ में किए जा रहे प्रयासों के बारे में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये आयोजित एक समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।

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यह बात महत्वपूर्ण है क्योंकि सीएसआईआर कोविड-19 के लिए जिम्मेदार सिविअर एक्यूट रिस्पेरेटरी सिंड्रोम-कोरोना वायरस-2 (SARS-CoV-2)का आनुवांशिक अनुक्रमण कर रहा है। इसके लिए डॉ हर्ष वर्धन ने सीएसआईआर के उन प्रयोगशालाओं की सराहना की है, जो कोविड-19रोगियों के स्वाब नमूनों के परीक्षण में जुटी हैं, और इनमें से कुछ प्रयोगशालाएं आगामी हफ्तों मेंनये कोरोना वायरस के 500अनुक्रमण करने के लक्ष्य के साथ वायरस के आनुवंशिक स्वरूप का पता लगाने का कार्य कर रही हैं।

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कोविड-19 का समाधान खोजने में सीएसआईआरप्रयोगशालाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकारी के बाद डॉ हर्षवर्धन ने उन्हें इसका मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि “कोविड-19 से निपटने के लिए निश्चित समय-सीमा के भीतर सावधानीपूर्वक काम करते हुए समाधान विकसित करना होगा। यह एक तरह से युद्ध की स्थिति है और युद्ध समाप्त होने से पहले हमें समाधान खोजने हैं। इसीलिए , वैज्ञानिकों को इस चुनौती को नियमित अनुसंधान परियोजना की तरह नहीं मानना चाहिए।”

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डॉ हर्षवर्धन ने कहा है कि “भारत को अपने वैज्ञानिक समुदाय से बहुत उम्मीदें हैं और मुझे यकीन है कि वे मौजूदा समय की आवश्यकता को पूरा कर सकते हैं।” उन्होंने कहा, “आनुवांशिक अनुक्रमण का यह प्रयास मुझे 26 साल पहले पोलियो उन्मूलन आंदोलन की याद दिलाता है, जब लकवा के गंभीर मामलों का पता लगाने के लिए देशभर में सक्रिय रूप से निगरानी की जा रही थी। उस समय भी, पोलियो वायरस के इतिहास का पता करने के लिए आनुवांशिक अनुक्रमण का उपयोग किया गया था, जिसने अंततः पोलियो के उन्मूलन में मदद की।”

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केंद्रीय मंत्री के साथ समीक्षा बैठक में सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे, सीएसआईआर-जिनोमिकी और समवेत जीव विज्ञान संस्थान(आईजीआईबी) के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल और विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर मौजूद थे। जबकि, सीएसआईआर की 38 प्रयोगशालाओं के निदेशक बैठक में ऑनलाइन शामिल हुए थे।
इस अवसर पर डॉ मांडे ने बताया कि कोविड-19 से निपटने के लिए सीएसआईआर में कोर रणनीतिक समूह (सीएसजी) की स्थापना की गई है और पाँच कार्यक्षेत्रों की पहचान की गई है, जिसके तहत गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। इनमें डिजिटल और आणविक निगरानी, तीव्र तथा किफायती निदान, नयी दवाएं /दवाओं की रिपर्पजिंगतथा उत्पादन प्रक्रिया, अस्पतालों के सहायक उपकरण एवं निजी सुरक्षा उपकरणऔर आपूर्ति श्रृंखला तथा लॉजिस्टिक समर्थनप्रणाली शामिलहै। डॉ मांडे ने बताया कि सीएसआईआर प्रमुख उद्योगों, पीएसयू, एमएसएमई और अन्य विभागों तथा मंत्रालयों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

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डॉ हर्ष वर्धन ने एमएसएमई, प्रमुख उद्योगों, पीएसयू के साथ आरटी-पीसीआरमशीनों पर काम करने के लिए सीएसआईआर की सराहना की है। उन्होंने कहा, “इस समय प्लाज्मा आधारित थेरेपी की बहुत आवश्यकता है। इसके लिए, हमें उन रोगियों को प्रेरित करने की आवश्यकता है, जो कोविड-19 से उबर चुके हैं और रक्तदान कर सकते हैं।” उन्होंने सीएसआईआर-एनएएल द्वारा वेंटीलेटर, ऑक्सीजन संवर्धन उपकरणों पर भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के साथ किए गए कार्यों कोसराहा है। ये संस्थान 3-डी प्रिंटेड फेस शील्ड, फेस मास्क, गाउन और अन्य सुरक्षात्मक उपकरण भी विकसित कर रहे हैं। डॉ हर्ष वर्धन ने कहा “ये सभी चीजें अगले कुछ हफ्तों में हमारी मदद कर सकती हैं।”

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डॉ हर्ष वर्धन ने कहा, “कोविड-19 की चुनौती से लड़ाई देश में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे सकती है, और इस क्रम मेंमहत्वपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल उपकरण विकसित करने में हमारी क्षमता बढ़ सकती है।” उन्होंने सीएसआईआर के वैज्ञानिकों द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग करके किए जा रहे कार्य की भी प्रशंसा की है और वैज्ञानिकों को यह याद दिलाया कि शोध के समय भी सामाजिक दूरी और लॉकडाउन का पालन करते रहनाजरूरी है। उन्होंने कहा कि जब तक कोविड-19 की वैक्सीन विकसित नहीं हो जाती, तब तक इस बीमारी से लड़ने का सबसे उपयुक्त हथियार सामाजिक दूरी बनाए रखना ही है। (इंडिया साइंस वायर)
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