विश्वविद्यालय परिसर के आसपास गिरिपेठ, हनुमान गढ़, कारला चौक, आर्वी नाका स्थित बस्ती में 150 से अधिक मजदूर भाईयों एवं बहनों के घरों में रविवार, 5 अप्रैल को सामग्री का वितरण किया गया
स्वस्थ भारत मीडिया
वर्धा, दि. 6 अप्रैल 2020: महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय परिवार की ओर से सेवा परमो धर्मः का भाव रखने वाले सभी सजगजन के आपसी सहयोग से लगभग चालीस हजार रुपये जमा कर जरुरतमंद लोगों को पैकेट में 7 किलो चावल, 1 किलो दाल, 1 किलो चीनी, 5 किलो आटा, 1 किलो नमक की मदद दी गई। विश्वविद्यालय परिसर के आसपास गिरिपेठ, हनुमान गढ़, कारला चौक, आर्वी नाका स्थित बस्ती में 150 से अधिक मजदूर भाईयों एवं बहनों के घरों में रविवार, 5 अप्रैल को सामग्री का वितरण किया गया । यह कार्य प्रशासन द्वारा जारी सभी निर्देशों का पालन करते हुए किया गया।
यह भी पढ़ें… आइए ‘भारतीयता’ का दीप हम भी जलाएं…
प्रो.रजनीश कुमार शुक्ल का मिला मार्गदर्शन
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल के मार्गदर्शन और दूरदर्शिता से प्रभावित होकर कर्मचारी, शिक्षकों और विद्यार्थियों ने कार्यक्रम की रूपरेखा बनाई और सामग्री जुटाने और वितरण को जमीनी स्तर पर क्रियान्वित करने का काम कुलदीप पाण्डेय, अतिथि अध्यापक जीतेन्द्र , श्रीकांत विद्यार्थी पुनेश जी और गौरव कुमार आदि ने किया।
यह भी पढ़ें… ‘प्रसव वेदना’ के दौड़ में वैश्विक समाज
कमल शर्मा के नेतृत्व में बंटी सामग्री
विश्वविद्यालय के वित्त विभाग के अनुभाग अधिकारी कमल शर्मा के नेतृत्व में सामग्री के पैकेट तैयार किये गये. वितरण के समय सोशल डिस्टेंसिंग और सेनिटाइज़िंग का विशेष ध्यान रखा गया. इस कार्य में विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग के सहायक कुलसचिव कौशल किशोर त्रिपाठी का योगदान सराहनीय रहा. विदित है कि कोरोना महामारी के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है और इसके कारण गरीब मजदूर, जो रोज कमाते-खाते हैं वे इस संकट में सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
यह भी पढ़ें… आइए ‘भारतीयता’ का दीप हम भी जलाएं…
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के निकट गिरिपेठ, हनुमान गढ़, कारला चौक, आर्वी नाका स्थित बस्ती हैं जिसमें बड़ी संख्या में मजदूर और रोज कमाने- खाने वाले लोग रहते हैं। आज के समय में काम न होने के कारण इनके सामने भोजन की समस्या आ गई है। ऐसी दशा में एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारा दायित्व समझकर इस संकट की घड़ी में हम उनके साथ खड़े हुए और उन्हें कुछ रसद उपलब्ध कराकर अपना नागरिक धर्म निभाया ऐसी भावना विश्वविद्यालय के शिक्षक, कर्मचारी और विद्यार्थियों ने व्यक्त की।