स्वस्थ भारत मीडिया
आज का स्वस्थ्य ज्ञान / Today's Health Knowledge काम की बातें / Things of Work कोविड-19 / COVID-19 नीचे की कहानी / BOTTOM STORY रोग / Disease समाचार / News

‘प्रसव वेदना’ के दौड़ में वैश्विक समाज

आज देश प्रसव वेदना के दौर से गुजर रहा है। सभी लोग अपने-अपने स्तर पर कोरोना को हराने के लिए कमर कसे हुए हैं। देश के चिकित्सक-नर्स एवं पारा मेडिकल स्टाफ भगवान की भूमिका में है। देश की सरकार हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। दुनिया के देश मदद के लिए सामने आ रहे हैं। ऐसे में जब सोशल डिस्टेंसिंग ही इस मर्ज की दवा बताई जा रही हो तब देश का एक तबका इस इस डिस्टेंसिंग को कम करने के लिए कॉल योर चाइल्डहूड फ्रेंड कैंपेन स्वस्थ भारत (न्यास) चला रहा है। आशा-निराशा के इस दौर में हमें निराश नहीं होना है।

आशुतोष कुमार सिंंह
भारत ही नहीं पूरी दुनिया इस समय कोरोनाग्रस्त है। कोरोना वायरस ने विज्ञान और समाज को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है। विज्ञान समाज को बचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। कोरोनारोधी उपाय खोजा रहा है। लेकिन अभी तक वैसी सफलता नहीं मिली है, जिसकी जरूरत है। इन सबके बीच भारत सरकार लगातार कोरोना वार से लड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने में जुटी है। सरकार ने बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा तो की ही है साथ ही इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए 21 दिवसीय लॉकडाउन की व्यवस्था भी हुई है। लोगों को घरों में रहने का निर्देश दिया गया है। हालात दूसरे देशों की तरह न बिगड़े इसके लिए ये सारे उपाय बहुत जरूरी है।

3113 लोग हो चुके हैं संक्रमित

आज 5 मार्च (सुबह ) तक के हालात पर नज़र डाली जाए तो भारत में कोरोना पोजिटिव के 3113 मामले रिपोर्ट हो चुके हैं, 68 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। ऐसे में सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है, इस वायरस को सामुदायिक फैलाव से रोकने का। इसके लिए जरूरी है कि जितना जल्द हो सके कोरोना संभावित मरीजों की टेस्टिंग कराई जाए। इस संदर्भ में भारत ने एक बहुत ही सकारात्मक प्रगति की है। अब कोरोना टेस्टिंग किट भारत में भी बनना शुरू हो गया है।

कोरोना टेस्टिंग का स्वदेशी किट

पुणे से एक अच्छी खबर मिली है। मायलैब डिस्कवरी सॉल्यूशंस कंपनी को कोविड-19 (कोरोना वायरस) की टेस्ट किट के लिए कमर्शियल प्रोडक्शन की अनुमति मिल गई। परमिशन पाने वाली यह देश की पहली कंपनी है। कंपनी की ओर जारी वक्तव्य में कहा गया है कि कोरोना वायरस की जांच करने वाली उसकी ‘मायलैब पैथोडिटेक्ट कोविड-19 क्वॉलिटेटिव पीसीआर किट’ को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने अनुमति दी है।

एक टेस्टिंग किट करेगा 100 लोगों की जांच

कंपनी का दावा है कि वे एक टेस्टिंग किट से 100 लोगों की जांच कर सकते हैं। इसके बाजार में आ जाने से एक प्राइवेट लैब में दिन में कोरोना के एक हजार टेस्ट किए जा सकेंगे। अभी एक लैब में औसतन दिन भर में 100 नमूनों की कोरोना जांच हो पाती है। कंपनी के प्रबंध निदेशक हसमुख रावल ने मीडिया से कहा कि, ‘स्थानीय और केन्द्र सरकार से मिले सहयोग और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देते हुए उनकी कंपनी ने कोविड-19 की जांच के लिए यह किट तैयार की है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन और अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) के दिशा निर्देशों के अनुरूप रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है।

कोरोना टेस्टिंग सस्ती होगी

कोरोना वायरस की जांच किट को स्थानीय स्तर पर बनाने से इसकी मौजूदा लागत घटकर एक चौथाई रह जाएगी। ‘ ध्यान देने वाली बात यह है कि वर्तमान में, भारत प्रति मिलियन जनसंख्या पर किए गए परीक्षण के मामले में सबसे नीचे है। यह आंकड़ा सिर्फ 6.8 का है। कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए भारत सरकार ने जर्मनी से लाखों टेस्टिंग किट आयात की हैं। मायलैब का दावा है कि आने वाले समय में एक हफ्ते में एक लाख किट बनाई जा सकेंगी। माई लैब के दावो में अगर सच्चाई है तो निश्चित रूप से भारत के लिए कोरोना वार से लड़ने में थोड़ी सहुलियत हो जाएगी।

लैबों की संख्या बढ़ा रही है सरकार

देश में कोरोना की जांच के लिए नए 200 लैब  को टेस्टिंग की अनुमति दी गई है। सरकार की ओर से पहले ही 125  से ज्यादा लैब काम कर रहे थे। इन लैबों के लिए आसीएमआर ने नई गाइडलाइन जारी किया है।

भारत में आईआईटी और एम्स तैयार करेंगे वेंटिलेटर

जब पूरी दुनिया वेंटिलेटर के लिए परेशान है तो ऐसी मुश्किल की घड़ी में भारतीय शिक्षण व शोध संस्थानों ने मदद को हाथ बढ़ाया है। आईआईटी कानपुर ने 1 महीने के अंदर 1 हजार पोर्टेबल वेंटीलेटर तैयार करने का ऐलान किया है। संस्थान के प्रो. अमिताभ बंदोपाध्याय ने मीडिया से बातचीत करते हुए यह बताया कि भारत की स्थिति को देखते हुए अगले एक महीने में कम से कम 50 हजार वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। इसलिए वे और उनकी टीम दिन रात एक करके इसके लिए काम करेगी।

एम्स नई दिल्ली आगे आया

आईआईटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर कहते हैं कि उनकी एक अन्य टीम कोरोना की जांच के लिए किट तैयार करने पर काम कर रही है। जल्द ही उसके भी सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। एम्स नई दिल्ली ने भी एक निजी कंपनी के साथ हाथ मिलाया है। दोनों मिलकर प्रोटोटाइप वेंटिलेटर तैयार करेंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तकरीबन 1200 और वेंटिलेटर का ऑर्डर किया है।

70 हजार हैं नीजि अस्पताल

ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत में कोरोना संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की टीम का दावा है कि यही रफ्तार रही तो मई के मध्य तक 1 लाख से 13 लाख तक संक्रमितों की संख्या पहुंच सकती है। ऐसी स्थिति से निपटने लिए भारत में मौजूदा मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर और मेडिकल उपकरण नाकाफी है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 के आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में करीब 32 हजार सरकारी, सेना और रेलवे के अस्पताल हैं। इनमें करीब 4 लाख बेड हैं। निजी अस्पतालों की संख्या 70 हजार के करीब हैं। इसके अलावा क्लीनिक, डायग्नोस्टिक सेंटर, कम्युनिटी सेंटर भी हैं।

1700 लोगों पर है एक बेड

सब मिलाकर करीब 10 लाख बेड होते हैं। आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारत में करीब 1700 लोगों पर एक बेड है। अब आईसीयू और वेंटिलेटर की स्थिति देखें तो यह भी काफी कम है। इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर के मुताबिक, देश भर में तकरीबन 70 हजार आईसीयू बेड हैं। जबकि 40 हजार वेंटिलेटर मौजूद है। इसमें भी महज 10 प्रतिशत ही खाली हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना से निपटने के लिए भारत को अगले एक महीने के अंदर अतिरिक्त 50 हजार वेंटिलेटर और अस्पतालों में 2 लाख से ज्यादा बेड की जरूरत पड़ सकती है। जबकि आईसीयू बेड की करीब 70 हजार जरूरत पड़ सकती है।

पुरी दुनिया बेड कमी से जूझ रही है

ऐसा नहीं है कि अस्पतालों में बेड का संकट केवल भारत में ही है बल्कि कोरोना की शुरूआत करने वाले चीन में भी हैं। डब्ल्यूएचओ के आंकडों के हिसाब से यहां प्रत्येक 1 हजार नागरिकों पर 4.2 बेड है। यही कारण है जब कोरोना का संकट यहां ज्यादा था तो बड़ी संख्या में होटल्स को अस्थाई हॉस्पिटल में बदल दिया गया था। इसी तरह फ्रांस में प्रत्येक 1 हजार नागरिक पर 6.5, दक्षिण कोरिया में 11.5, चीन में 4.2, इटली में 3.4 और अमेरिका में 2.8 बेड हैं।

प्रसव वेदना का दौर

ऐसे में देखा जाए तो आज देश प्रसव वेदना के दौर से गुजर रहा है। सभी लोग अपने-अपने स्तर पर कोरोना को हराने के लिए कमर कसे हुए हैं। देश के चिकित्सक-नर्स एवं पारा मेडिकल स्टाफ भगवान की भूमिका में है। देश की सरकार हर संभव मदद करने के लिए तैयार है। दुनिया के देश मदद के लिए सामने आ रहे हैं। ऐसे में जब सोशल डिस्टेंसिंग ही इस मर्ज की दवा बताई जा रही हो तब देश का एक तबका इस इस डिस्टेंसिंग को कम करने के लिए कॉल योर चाइल्डहूड फ्रेंड कैंपेन स्वस्थ भारत (न्यास) चला रहा है। आशा-निराशा के इस दौर में हमें निराश नहीं होना है।

सरकार का गाइडलाइन मानें

हमें बस सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन को अपनाना है। आपकी मदद के लिए भारत सरकार ने एक हेल्पलाइन न.1075 जारी किया है। यह टोलफ्री न. है। साथ ही आप 91-11-23978046 पर भी कॉल कर के अपनी शंका समाधान कर सकते हैं। आइए हम सब कोरोना से मिल कर लड़े और एक नए भारत की ओर बढ़ें…

Related posts

सरकारी अस्पतालों में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव नहीं पढ़ा पाएंगे ब्रांडेड दवाइयों का पाठ,बिहार सरकार का क्रांतिकारी फैसला

दस्तक दे रही एक और जानलेवा महामारी

admin

समाधान परक पत्रकारिता समय की मांगः प्रो.के.जी.सुरेश

Ashutosh Kumar Singh

Leave a Comment