नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने आदेश जारी बताया है कि 126वीं बैठक में कुछ दवाओं और फॉर्मूलेशन के साथ ही घुटना बदलने से जुड़े इम्प्लांट को सितंबर 2025 तक प्राइस कंट्रोल के दायरे में लाने का फैसला किया गया। इसके साथ ही बीपी और शुगर्स सहित कई बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के 62 फॉर्मूलेशन को प्राइस कंट्रोल के दायरे में लिया है। 62 फॉर्मूलेशन में आइबूप्रोफेन, पेरासिटामोल, हाइड्रोक्लोरोथियाजिडस, टेल्मिसर्टन, एम्लोडिपिन से बनने वाली दवाएं क्लोरोक्वीन, बिसोप्रोलोल फ्यूमरेट और टेल्मिसर्टन आदि है।
डेंगू की सटीक दवा तैयार
बाजार में जल्द ही डेंगू की दवा आने वाली है। इसके दो फेज का ट्रायल पूरा हो चुका है। बस तीसरे फेज के ट्रायल होगा। दवा को तैयार करने का काम पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट कर रहा है जिसने 8 साल तक इस पर अध्ययन किया है। इस शोध में बनारस के डॉ. इंद्रनील बसु भी बतौर प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर शामिल हैं। 2015 से इसका जानवरों पर ट्रायल किया गया। उसके बाद 2018 में पहला और 2022 में फेज 2 का ट्रायल हुआ।
छत्तीसगढ़ में होगी हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने कहा है कि यहां चालू सत्र से हिंदी में MBBS पाठ्यक्रम पेश किया जाएगा। हिंदी दिवस के अवसर पर उन्होंने कहा कि इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को लाभ होगा क्योंकि वे ज्यादातर हिंदी माध्यम के स्कूलों से आते हैं और अंग्रेजी भाषा के उपयोग के कारण प्रतिभाशाली होने के बावजूद मेडिकल पाठ्यक्रमों में कठिनाई का सामना करते हैं। हिंदी में अध्ययन करने से उनकी बुनियादी बातें मजबूत होंगी, उन्हें इसकी गहरी समझ विकसित करने में मदद मिलेगी। विषय बनाएं और उन्हें अच्छे डॉक्टर बनाएं।