नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। मौसम में बदलाव कहिए या वायु प्रदूषण का असर, देशभर में कोरोना की गति से फ्लू के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने भी इस बात की पुष्टि की है। लोगों को तेज बुखार और खांसी-जुकाम की समस्या हो रही है। अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ रही है और प्रचलित एंटी बायोटिक दवाएं बेअसर हो रही है। तीन से पांच दिन में ठीक होने वाला फ्लू अब सप्ताह-दो सप्ताह का समय ले रहा है।
दिसंबर से ही कहर का दौर
रिपोर्ट के अनुसार दिसंबर से मार्च तक का डेटा कहता है कि इन्फ्लूएंजा (H3N2) के मामलों में लगातार वृद्धि जारी है। श्वसन संक्रमण के साथ-साथ ज्यादातर लोगों को सिरदर्द-बदन दर्द, सर्दी-जुकाम और तेज बुखार की दिक्कत हो रही है। इससे संक्रमित लोगों को अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। इनमें 90 फीसद से अधिक को तेज बुखार-कफ, 27 फीसद को सांस की दिक्कत, 16 फीसद को निमोनिया और 6 फीसद लोगों में झटके आने की दिक्कत देखी गई है। 7 फीसद लोग ऐसे भी हैं जिन्हें गंभीर रोग के कारण ICU में भर्ती करना पड़ा है।
इस बार का वायरस अधिक संक्रामक
विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस इन्फ्लूएंजा के अन्य वायरस की तुलना में अधिक संक्रामक और गंभीर लक्षण पैदा करने के लिए जाना जाता है। हालांकि यह कोई नया वैरिएंट नहीं है, इसके मामले पहले भी देखे जाते रहे हैं। समय पर इलाज मिलने से रोग की गंभीरता को कम किया जा सकता है। इस संक्रमण के लक्षण हमेशा ठंड लगने के साथ शुरू होकर तेज बुखार और फिर खांसी-अन्य श्वसन समस्याओं का कारण बनते हैं। जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर है, उन्हें अस्पतालों में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।