नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने प्रैक्टिशनर डॉक्टरों से अपील की है कि जरूरी हाने पर ही मरीज को एंटीबायेटिक दवा लिखें। वे यह भी बतायें कि सिफारिश की गयी दवा क्यों जरूरी है। एक चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक के दुरुपयोग को रोकना होगा क्योंकि ये बॉडी पर दुष्प्रभाव छोड़ते हैं। उन्होंने मेडिकल स्टोर चलाने वालों से भी अपील की है कि बिना डॉक्टर की पर्ची के ऐसी दवा न बेचें।
पूरा कोर्स लेना चाहिए एंटीबायोटिक का
ज्यादातर लोग बीमारी ठीक होते ही बीच में एंटीबायोटिक लेना बंद कर देते हैं। कई बार यह भी देखा गया है कि इस तरह के लक्षण दिखने पर मरीज़ बची हुई गोलियां बचाकर रख लेते हैं और समान परिस्थिति आने पर फिर उसे खा लेते हैं। डॉक्टरों की सलाह होती है कि जिन रोगियों को एंटीबायोटिक दवा दी गई है, उन्हें कभी भी बीच में एंटीबायोटिक उपचार बंद नहीं करना चाहिए और पूरा कोर्स खाना चाहिए। ऐसा इसलिए कि शरीर में बहुत ही संवेदनशील बैक्टीरिया होते हैं। जब ये एंटीबायोटिक के संपर्क में आते हैं, तो रेसिस्टेंट बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है जो पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इस तरह के संक्रमण का इलाज काफी मुश्किल हो जाता है।
A ब्लड ग्रुप वालों को स्ट्रोक का खतरा ज्यादा
खराब जीवन शैली ही नहीं, ब्लड ग्रुप से भी स्ट्रोक का संबंध है। दरअसल ब्लड ग्रुप की केमिकल संरचना का नाता स्ट्रोक से होता है। इसमें अलग-अलग तरह के केमिकल होते हैं जो RBC यानी लाल रक्त कोशिकाओं पर तैरते हैं। 2022 में जीनोमिक पर काम करने वाले शोधकर्ताओं की स्टडी के मुताबिक A ग्रुप वालों को स्ट्रोक का खतरा 16 फीसद अधिक निकला था जबकि O ग्रुप वालों में यह खतरा 12 फीसद कम था।