नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। जी-20 की बैठकों में पारंपरिक चिकित्सा पर चर्चा सबसे आगे है और स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से निपटने में इसकी संभावित भूमिका को स्वीकार किया जा रहा है। यह भारत और आयुष मंत्रालय के लिए मार्के की बात है। यह जानकारी जी-20 शेरपा अमिताभ कांत ने खुद दी। वे इन बैठकों के लिए काफी सक्रिय रहे हैं। भारत इस बार जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है।
आयुष मंत्रालय के कार्यों की सराहना
अमिताभ कांत ने कहा कि मैं आयुष मंत्रालय की बहुत सराहना करता हूं कि वह सभी सहभागिता और कार्य समूहों के साथ सक्रिय रूप से सहयोग करने में सबसे आगे है। हमें समग्र स्वास्थ्य और कल्याण प्राप्त करने में आयुष प्रथाओं के महत्व को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा भारत में सदियों से स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग रही है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) भारत में एक समर्पित डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (WHO GCTM) की अवधारणा लेकर आया है, जो पारंपरिक चिकित्सा की शक्ति का उपयोग करेगा।
समग्र स्वास्थ्य की अवधारणा पर लगातार चर्चा
उस बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि दुनिया में सभी स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के संदर्भ में एकीकृत स्वास्थ्य या समग्र स्वास्थ्य की अवधारणा पर चर्चा हो रही है। हम जी-20 देशों के बीच साझेदारी और समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य क्षेत्र में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका को स्वीकार करने के संदर्भ में हम सभी का स्पष्ट दृष्टिकोण है। आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने भी पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में योगदान देने के लिए जी-20 के नेतृत्व और कार्य समूहों की रूप से सराहना की।