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भारत के पास अनुसंधान क्षेत्र में दुनिया का टॉप राष्ट्र बनने की क्षमता

भुवनेश्वर में ICMR-RMRC के उपभवन का हुआ उद्घाटन

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने भुवनेश्वर में ICMR- क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान केंद्र (RMRC) के उपभवन का उद्घाटन और आईसीएमआर स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और BSL प्रयोगशाला का शिलान्यास किया। ICMR-RMRC भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद के 26 अनुसंधान संस्थानों में से एक है।

महामारी ने भारत की ताकत साबित की

डॉ. मांडविया ने कहा कि अनुसंधान के मामले में भारत के पास एक प्रमुख वैश्विक राष्ट्र बनने की क्षमता है जो महामारी के दौरान साबित हुआ है। उन्होंने ICMR के वैज्ञानिकों की प्रशंसा की। मंत्री ने कहा कि विश्व में पहले कोविड-19 टीके के आने के एक महीने के भीतर भारत ने अपना स्वदेशी कोविड-19 टीका तैयार किया था। उन्होंनेे चिकित्सा अनुसंधान की सीमा व परिणाम को बढ़ाने के लिए सरकारी और निजी अनुसंधान केंद्रों के बीच संयुक्त सहभागिता की जरूरत को भी रेखांकित किया।

हेल्थ सेक्टर में आदर्श परिवर्तन हुआ

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्वदेशी टीके के निर्माण की दिशा में  ICMR के योगदान और कोविड-19 वायरस के नए वेरिएंट्स की जीनोम सिक्वेंसिंग की दिशा में निरंतर प्रयास करने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक आदर्श परिवर्तन देखा है। श्री प्रधान ने यह भी बताया कि 2014 से पहले ओडिशा में मेडिकल कॉलेजों की संख्या केवल 3 थी, अब यह बढ़कर 10 हो गई है।

ICMR को मिली बधाई

स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने ICMR को उसकी उपलब्धियों पर बधाई दीं। उन्होंने कहा कि ICMR मोबाइल BSLल प्रयोगशालाओं का उपयोग भूटान जैसे अन्य देशों द्वारा कोविड-19 महामारी के प्रबंधन में किया जा रहा है। उन्होंने ICMR- RMRC के वैज्ञानिकों की भी सराहना की, जिन्होंने प्रधानमंत्री के टीबी मुक्त भारत के आह्वान का पूरे दिल से समर्थन किया और निक्षय मित्र बनने के लिए आगे आए।

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