नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। टाइफाइड (आंत्र ज्वर) रोग से बचाव के लिए ICMR के वैज्ञानिकों की बनायी वैक्सीन अब परीक्षण के दौर में आ रही है। वैज्ञानिकों ने इसका चूहों पर परीक्षण किया है जिससे उनमें संक्रमण के खिलाफ पर्याप्त एंटीबॉडी देखी गई। इस टीकाकरण ने चूहों के मॉडल में साल्मोनेला के अलग अलग स्ट्रेन के खिलाफ सुरक्षा प्रदान की है। इस रोग से भारत में हर साल चार लाख से अधिक लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2022 में भारत में टाइफाइड के लगभग चार लाख से अधिक मामले सामने आए और करीब 9 हजार लोगों की मौत हो गई।
टाइफाइड : दोनों स्ट्रेन पर असरकारक
जानकारों के मुताबिक यह रोग आमतौर पर साल्मोनेला बैक्टीरिया के कारण होता है। गंदी बस्तियों में इसके मामले सबसे ज्यादा मिलते हैं। खास तौर पर दूषित जल के सेवन को इस संक्रामक रोग के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माना जाता रहा है। यह जानलेवा भी हो सकता है अगर समय पर दवा नहीं दी जाए। जो वैक्सीन बन रही है वह बैक्टीरिया के दोनों स्ट्रेन पर एक साथ काम कर सकती है। साल्मोनेला टाइफी और सालमोनेला पैराटाइफी-ए दो ऐसे स्ट्रेन हैं जो इस संक्रामक रोग का प्रमुख कारण माने जाते रह हैं। दावा है कि यह वैक्सीन दोनों स्ट्रेन पर असर करेगी।
टाइफाइड : नयी वैक्सीन से सबको राहत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अभी इसके कुछ वैक्सीन बाजार में हैं। इसमें एक ऐसा है जो मुख्य रूप से साल्मोनेला टाइफी को ही लक्षित करते हैं। पश्चिम बंगाल स्थित राष्ट्रीय जीवाणु संक्रमण अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस टीके की प्रमाणिकता का दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना कि अभी तक ऐसा कोई लाइसेंस प्राप्त मिश्रित टीका नहीं है जो दोनों स्ट्रेन पर असर करके लोगों की सुरक्षा कर सके। ICMR का मानना है कि इस टीके के व्यापक उपयोग से भारत सहित पूरी दुनिया में आंत्र ज्वर की घटनाओं में काफी कमी आ सकती है। उसके अनुसार आने वाले दिनों में देश के अलग—अलग हिस्सों में इस टीके पर परीक्षण शुरू किए जाएंगे।
टाइफाइड : जानें इसके प्रमुख लक्षण
इससे पीड़ित लोगों में हल्के से लेकर तेज बुखार यानी 104 डिग्री तक रहता है। इसके साथ ही ठंड लगने, सिरदर्द, कमजोरी, थकान, मांसपेशियों और पेट में दर्द, दस्त या कब्ज की दिक्कत हो सकती है। कुछ लोगों को त्वचा पर चकत्ते होने, भूख न लगने और पसीना आने की भी समस्या होती है।