नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (ABHA) आईडी 3 फरवरी, 2025 तक, 73,90,93,095 बनाए जा चुके हैं।
आभा खातों के लिए जागरूकता अभियान
आभा खातों के पात्र लाभार्थियों के बीच जागरूकता के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देश भर में कई कदम उठाए हैं। योजना के तहत लाभार्थियों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए एक व्यापक मीडिया और पहुंच संबंधी रणनीति का पालन किया गया है। इसमें कई गतिविधियों में शामिल हैं जैसे—आउटडोर मीडिया, रेलवे स्टेशनों पर टिकट काउंटरों पर डिजिटल डिस्प्ले, प्रमुख बस स्टेशनों, यात्री ट्रेनों में घोषणाएं, ब्रांडिंग, राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रेस कवरेज, प्रिंट मीडिया में ऑप-एड और विज्ञापन, रेडियो अभियान, दूरदर्शन के माध्यम से लाभार्थियों के अनुभवों का प्रसारण, एसएमएस के माध्यम से जन संदेश और पारंपरिक मीडिया आदि। यह जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में जानकारी दी है।
मानसिक हेल्थ पर अपडेट
केंद्र सरकार ने 10 अक्टूबर, 2022 को एक “राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम” (NTMHP) शुरू किया है, जो टेली-मानसिक स्वास्थ्य परामर्श सेवाओं के जरिये सभी जरूरतमंदों को न्यायसंगत, सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने के लिए जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की डिजिटल शाखा के रूप में कार्य करता है। इसके लिए, पूरे देश में टोल-फ्री नंबर 14416 स्थापित किया गया है।
टेली-मानस की प्रगति
03.02.2025 तक, 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशोंं मेंं 53 टेली मानस सेल स्थापित किए गए हैं। टेली-मानस सेवाएं राज्यों की चुनी गई भाषा के आधार पर 20 भाषाओं में उपलब्ध हैं। हेल्पलाइन नंबर पर 18 लाख से अधिक लोगों को स्वाथ्य परामर्श दिया गया। 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनटीएमएचपी) के लिए क्रमशः 120.98 करोड़, 133.73 करोड़ और 90.00 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा सरकार ने सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी), पुणे में एक समर्पित टेली-मानस सेल की स्थापना की है, ताकि सभी सशस्त्र बलों के कर्मियों और उनके आश्रितों को टेली-मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान की जा सके, जिससे उन्हें उपलब्ध मानसिक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में और वृद्धि हो सके।
मानसिक हेल्थ पर अन्य पहल
मानसिक हेल्थ को एकीकृत करने के लिए भी सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा स्तर पर भी कदम उठा रही है। सरकार ने 1.73 लाख से अधिक उप स्वास्थ्य केंद्रों (SHC) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC) को आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में बदल दिया है। इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में प्रदान की जाने वाली समग्र प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के तहत चिकित्सा पैकेज में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को जोड़ा गया है। जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (DMHP) को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत देश के 767 जिलों के अस्पतालों में मानसिक बीमारी का पता लगाने और उपचार के लिए लागू किया गया है। डीएमएचपी के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) स्तर पर भी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। इसमें बाह्य रोगी सेवाएं, मूल्यांकन, परामर्श/मनो-सामाजिक कार्यक्रम, गंभीर मानसिक रोगियों का निरंतर देखभाल और सहायता, दवाएं, आउटरीच सेवाएं, एम्बुलेंस सेवाएं आदि शामिल हैं। यह जानकारी स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।