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2025 तक टीबी खत्म करने में इनडोर प्रदूषण बाधक

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। सरकार के प्रयासों के बाद भी स्थितियां ऐसी हैं कि 2025 तक भारत को टीबीमुक्त करना चुनौती बनी हुई है। वजह है इनडोर प्रदूषण यानी घर के अंदर का प्रदूषण। जिनको पहले से लंग्स से जुड़ी बीमारी है, उनके टीबीग्रस्त हो जाने का ज्यादा खतरा है।

बैठक में एक्सपर्ट की राय

हाल ही चैप्टर इंडिया नाम से एक्सपर्टस की ऑनलाइन बैठक हुई जिसमें इस पर ध्यान दिलाया गया। उनके मुताबिक देश में अभी भी कई घर ऐसे हैं जिनमें अस्वस्थ ईंधन का प्रयोग खाना पकाने के लिए किया जा रहा है। उनकी रसोई में वेंटिलेशन भी नहीं होता जो समस्या को और बढ़ा देता है। ऐसे घरों से आने वाले लोगों के लंग्स कमजोर मिलते हैं। बैठक में ICMR से जुड़े डॉ. मोहित रूपानी ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में छह गुना टीबी के मामले दिख रहे हैं। इसमें घरों में इस्तेमाल होने वाला ईंधन एक बड़ा कारण है। ऐसे लोगों में रिसर्च में पाया गया कि घरों के अंदर होने वाले प्रदूषण से टीबी हो सकता है। बाहरी प्रदूषण के मुकाबले घर के अंदर का प्रदूषण लंग्स को ज्यादा प्रभावित करता है। दुनियाभर में इसे लेकर हुए शोध से पता चलता है कि घर के अंदर का वायु प्रदूषण ज्यादा खतरनाक है।

कई मोर्चे पर सरकार सक्रिय

बैठक में स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए केंद्र सरकार कई स्तर पर काम कर रही है। इसमें पराली को जलाने में कमी लाने, वाहनों को CNG में बदलने सहित अन्य दिशा में काम किया जा रहा है। साथ ही टीबी पंचायत को शुरू किया है। इसमें घरों में स्वस्थ ईंधन के प्रयोग पर बल दिया है। लंग्स को स्वस्थ बनाने पर काम किया जा रहा है।

घट रहे टीबी की मिसिंग केस

दावा है कि देश में टीबी को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान से टीबी के मिसिंग केस घट रहे हैं जिससे टीबी उन्मूलन की दिशा में तेजी से काम किया जा सकेगा। पहले एक लाख में बड़ी संख्या ऐसे मामलों में थी, लेकिन अब आंकड़ा घट रहा है। टीबी को खत्म करने के लिए बड़े स्तर पर प्लान बनाया जा रहा है।

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