नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केंद्र सरकार अब पैक्स को भी जनऔषधि केंद्र चलाने की जिम्मेदारी देने जा रही है जिससे किसानों-ग्रामीणों तक सस्ती दवा पहुंच सके। इससे उन्हें रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। यह घोषणा गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने की और कहा कि यह पहल Pacs को उनकी आर्थिक गतिविधियों के विविधीकरण और विस्तार के लिए नए अवसर प्रदान करेगी जिससे छोटे और सीमांत किसानों के आय में वृद्धि भी होगी।
हेल्थकेयर का बुनियादी ढांचा मजबूत होगा
वे सहकारिता के राष्ट्रीय महासम्मेलन ‘Pacs प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में’ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जन औषधि केंद्रों के माध्यम से हेल्थकेयर के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने, मुफ्त स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने और दवाओं की लागत को काफी कम करने में सरकार के प्रयासों को सफलता मिलेगी। ऐसे केन्द्रों के माध्यम से आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाइयां खुले बाज़ार की ब्रांडेड दवाइयों के मुकाबले 50 से 90 फीसद तक कम मूल्य पर उपलब्ध होती हैं।
34 राज्यों से 44 सौ से अधिक आवेदन
उन्होंने बताया कि गत कुछ महीनों में ही 34 राज्यों की 44 सौ से भी अधिक पैक्स व सहकारी समितियों द्वारा इस पहल के लिए ऑनलाइन आवेदन किया जा चुका है। इसमें 23 सौ से अधिक समितियों को प्राथमिक अनुमोदन प्राप्त हो चुका है और 146 पैक्स-सहकारी समितियां जन औषधि केन्द्रों के रूप में कार्य करने के लिए पूर्ण रूप से तैयार भी हो चुकी हैं। सरकार और सहकार के साथ मिलकर काम करने से विकसित और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया जा सकेगा। इन केन्द्रों पर 2000 से अधिक प्रकार की जेनेरिक दवाइयां तथा लगभग 300 सर्जिकल उपकरण उचित मूल्य पर आम जनता के लिए उपलब्ध कराये जा रहे हैं।