नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। फेफड़े के चौथे स्टेज के कैंसर से मजबूत मुकाबला करने वाले हिंदी के वरिष्ठ पत्रकार रवि प्रकाश को आखिरकार कैंसर ने हरा दिया। उन्होंने मुंबई में 20 सितंबर को अपराह्न 2.25 बजे अंतिम सांस ली। कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद अपनी जिजीविषा के लिए सदैव संघर्षरत योद्धाओं के जीवनवृत्त का इतिहास जब भी लिखा जायेगा, तब विभिन्न समाचार पत्रों और बीबीसी हिंदी से जुड़े रहे रवि प्रकाश की जीवटता और जिजीविषा एक सार्थक शोध कार्य एवं मौलिक अनुसंधान के लिए प्रेरणा स्रोत बना रहेगा।
वे कैंसर को महामारी घोषित करने की लड़ाई लड़ रहे थे ताकि आम आदमी भी इस महंगे रोग को चुनौती दे सके। उन्हें पिछले सप्ताह ही अमेरिका में पुरस्कार मिला था। उन्हें वहां वर्ल्ड लंग कैंसर कांफ्रेंस (WCLC-2024) में पेशेंट एडवोकेट एजुकेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। तीन दिन पहले ही अपने अंतिम पोस्ट में लिखा था-अमेरिका प्रवास खत्म, अस्पताल प्रवास शुरू। एक जिंदगी, अनेक रंग। शुक्रिया मेरे डॉक्टर्स। दोनों ही रंगों की अपनी-अपनी भूमिका है। मैं दोनों के मजे ले रहा हूँ… तब उन्हें भी नहीं पता था कि यह उनके जीवन का अंतिम पोस्ट है… कुछ दिन पहले उन्होंने यह भी लिखा था कि चलते-फिरते चला जाऊं, यही भगवान से इच्छा है। अमेरिका यात्रा तक जिंदा रहूँ… ईश्वर ने उनकी इतनी बात सुन ली। उनके निधन पर स्वस्थ भारत के अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह ने शोक प्रकट किया है।
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