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पत्रकार उमाशंकर मिश्र को मिला यह प्रतिष्ठित पुरस्कार

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। विज्ञान समाचार सेवा ‘इंडिया साइंस वायर’ से जुड़े पत्रकार उमाशंकर मिश्र को वर्ष 2022 का प्रतिष्ठित देवऋषि नारद पत्रकारिता पुरस्कार प्रदान किया गया है। इन्द्रप्रस्थ विश्व संवाद केंद्र, दिल्ली की ओर से आयोजित 12वें देवऋषि नारद पत्रकार सम्मान समारोह में कांस्टीट्यूशन क्लब में उन्हें यह पुरस्कार आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील अम्बेकरय, केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव कुमार बालयान, और नेटवर्क 18 के प्रबंध संपादक आनंद नरसिम्हन की उपस्थिति में प्रदान किया गया।

बहुमुखी प्रतिभा से संपन्न हैं श्री मिश्र

यह पत्रकारिता पुरस्कार उन्हें ग्रामीण विकास श्रेणी में प्रदान किया गया है। विभिन्न श्रेणियों में विजेताओं का चयन एक सम्मानित निर्णायक मंडल द्वारा किया गया था। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी पत्रकारिता, विमर्श, जागरूकता एवं जनकेंद्रित नीतिगत पहल को बढ़ावा देने में योगदान के लिए देवऋषि नारद पत्रकार प्रदान किया जाता है। उमाशंकर मिश्र को यह पुरस्कार ग्रामीण विकास, कृषि एवं पर्यावरण पत्रकारिता तथा इस क्षेत्र में हो रहे शोध एवं विकास को उजागर करने से संबंधित उनके योगदान के लिए प्रदान किया गया है।

पत्रकारिता में लंबा जुड़ाव

पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक समय से सक्रिय उमाशंकर मिश्र ने कृषि, ग्रामीण विकास और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर प्रमुखता से लेखन एवं संपादन कार्य किया है। वह प्रतिष्ठित समाचार पत्रों एवं ग्रामीण विकास पर केंद्रित पत्रिका सोपानstep  नियमित रूप से जुड़े रहे हैं। अमर उजाला में कृषि एवं ग्रामीण विकास पर उनके द्वारा संपादित ‘चैपाल’ और सामाजिक राजनीतिक विषयों पर केंद्रित पृष्ठ ‘फोकस’ काफी लोकप्रिय रहे हैं। पूर्व सांसद श्री सुनील शास्त्री द्वारा सामाजिक राजनीतिक विषयों पर प्रकाशित की जाने वाली पत्रिका लिगेसी इंडिया (Legacy India) के संस्थापक सदस्य एवं संपादक के रूप में भी उमाशंकर मिश्र कार्य कर चुके हैं। वह अमर उजाला में तकनीक, स्वास्थ्य, मनोरंजन, लाइफस्टाइल और करियर जैसे विषयों पर आधारित परिशिष्टों के संपादन से जुड़े रहे हैं। कुछ समय बाद जब ‘चैपाल’ को मासिक पत्रिका के रूप में निकाला गया, तो उमाशंकर उसके संपादन से भी लगातार जुड़े रहे।

प्रतिष्ठित अवार्ड से भी नवाजे गये

कृषि मंत्रालय की ओर से उमाशंकर मिश्र को Chaudhary Charan Singh Award for excellence in Journalism in Agricultural Research and Development प्रदान किया गया है। वर्ष 2019 की विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सड़क सुरक्षा फेलोशिप भी उन्हें मिली थी। उमाशंकर मिश्र को ग्रामीण पत्रकारिता के लिए न्यूजपेपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा भी पुरस्कृत किया गया है। ग्रामीण एवं कृषि पत्रकारिता के साथ-साथ उन्हें विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, मीडिया एवं भाषा और जल, जंगल तथा जमीन जैसे विषयों को कवर करने के लिए प्रमुखता से जाना जाता है। वे अभी विज्ञान प्रसार द्वारा संचालित विज्ञान समाचार एवं फीचर सिंडिकेट ‘इंडिया साइंस वायर’ में कार्यरत हैं और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के साथ-साथ कृषि शोध पर समान रूप से लेखन, संपादन एवं अनुवाद कार्य कर रहे हैं। इंडिया साइंस वायर में वह भारतीय वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में हो रहे शोध एवं विकास संबंधी खबरों को प्रमुखता से उठाते हैं। उनके 3000 से अधिक आलेख-रिपोर्ट्स हिंदी, अंग्रेजी और मराठी के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं न्यूज पोर्टल्स में प्रकाशित किए गए हैं।

ऐसे बढ़ी उनकी रुचि

वे बताते हैं कि शुरुआती दौर में पी. साईनाथ, हरवीर सिंह, अंशुमान तिवारी, डॉ महेंद्र मधुप, देविंदर शर्मा जैसे लेखको-पत्रकारों के आलेखों ने ग्रामीण पत्रकारिता के प्रति उनका रुझान विकसित हुआ। सोपानstep में कार्य करते हुए वह किसानों की आत्महत्या के मुद्दे को कवर करने के लिए विदर्भ गए और किसानों की पीड़ा को करीब से देखा व कलमबद्ध किया। उन्होंने जल, जंगल, जमीन से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित जनांदोलनों को भी कवर किया। वंचितों को भूमि अधिकार दिलाने से जुड़े एकता परिषद के जनांदोलन एवं पदयात्रा की उनकी कवरेज को काफी सराहा गया।

कई सराहनीय रिपोर्ट प्रकाशित

इंडिया साइंस वायर में कार्य करते हुए कृषि एवं पर्यावरण पर केंद्रित शोध कार्यों पर उनकी कई सराहनीय रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं। कृषि एवं ग्रामीण पत्रकारिता में आगे बढ़ने के लिए वह मिशन फार्मर साइंटिस्ट के जनक एवं शरद कृषि पत्रिका के पूर्व संपादक डॉ महेंद्र मधुप और चर्चित यूरिया घोटाला उजागर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार के.ए. बदरीनाथ को देते हैं। उमाशंकर मिश्र कृषि एवं ग्रामीण पत्रकारिता पर वरिष्ठ पत्रकार यशवंत व्यास और विज्ञान आधारित लेखन में इंडिया साइंस वायर के पूर्व प्रबंध संपादक दिनेश सी. शर्मा को श्रेय देते हैं।

वैज्ञानिक चेतना जरूरी

‘जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान’ के ध्येय वाक्य के साथ कार्य करने वाले उमाशंकर मिश्र समाज में वैज्ञानिक चेतना के विकास को आवश्यक मानते हैं। वह कहते हैं कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ का रास्ता ‘ग्रामीण आत्मनिर्भरता’ के बिना संभव नहीं है। उनका मानना है कि कृषि स्टार्टअप, नवाचार और अभिनव प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से विष्वगुरु का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

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