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सभी मंदिरों में चलनी चाहिए माँ अन्नपूर्णा जैसी रसोई : गुरु पवन सिन्हा

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। मौलिक भारत की “मंदिर संकुल और सेवा योजना” से प्रेरित होकर लक्ष्मीनारायण मंदिर, सेक्टर 56, नोएडा में पिछले एक वर्ष से चल रही माँ अन्नपूर्णा रसोई की पहली वर्षगाँठ पर मुख्य अतिथि व वक्ता प्रख्यात आध्यात्मिक चिंतक गुरु पवन सिन्हा ने रसोई की संचालन समिति के कार्य को सराहा व कहा कि सभी मंदिरों में माँ अन्नपूर्णा जैसी रसोई होनी चाहिए।

प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को निःशुल्क भोजन

उल्लेखनीय है कि माँ अन्नपूर्णा रसोई में प्रतिदिन 350-400 निःशक्त व निर्धन व बच्चों को निःशुल्क भोजन दिया जाता है। इसका विस्तार सेक्टर 22 के शिव मंदिर में भी किया जाने का प्रस्ताव है। सप्ताह में कुछ दिन आईकेयर अस्पताल में ग़रीब मरीजो को भी भोजन भिजवाया जाता है। रसोई की संचालन समिति के संयोजक पंकज गोयल, अनुज अग्रवाल, नवल किशोर एवं अनिल दीक्षित ने बताया कि शहर के धार्मिक रूप से जागरूक व संवेदनशील अनेक प्रबुद्धजनों की पहल व सहयोग से मंदिर संकुल को सेवा व सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बनाने के अभियान को ज़मीन पर उतारने का संकल्प लिया गया है।

आस्था के साथ संपदा के भी केंद्र रहे मंदिर

उन्होंने कहा कि पहले आध्यात्मिक चेतना व पूजन स्थल के साथ-साथ मंदिर संकुल में देव स्थान, ध्यान कक्ष, मंत्रणा कक्ष, सभा, प्रवचन कक्ष, महंत आवास, यात्री विश्राम ग्रह, यज्ञशाला, धार्मिक पुस्तकालय, वाचनालय, गुरुकुल, गौशाला, सांस्कृतिक कार्यक्रम कक्ष, चिकित्सालय, व्यायामशाला, रसोई व भोजन कक्ष, अन्न कक्ष, तिजोरी कक्ष, बगिया, कौशल विकास केंद्र सब कुछ होता था और मंदिर पूजा व उपासना के साथ ही राज्य के सलाहकार, अन्न व संपदा के केंद्र ( जिसका प्रयोग राज्य आपात स्थिति में करता था) था। मंदिर संकुल में शिक्षा हेतु गुरुकुल भी था जहां शास्त्र व शस्त्रों की शिक्षा के साथ अन्य विधाओं की भी जानकारी दी जाती थी।

मंदिरों की उपेक्षा से समाज का पतन

पवन जी ने बताया कि इस प्रकार भारतीय मंदिर कला-संस्कृति के साथ ही सामाजिक व आर्थिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र थे। अपनी इस व्यवस्था के कारण भारतीय संस्कृति व सत्ता सम्पूर्ण विश्व में स्थापित हो गयी। पिछले कुछ सदियों में यह व्यवस्था बिखर गयी और इसी कारण समाज का पतन हो रहा है। समाज के उत्थान के लिए इस व्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए मंदिर संकुल और सेवा अभियान जो लक्ष्मीनारायण मंदिर में किया जा रहा है, वह सराहनीय है एवं इसका विस्तार भारत के प्रत्येक मंदिर तक होना चाहिए।

हुआ यज्ञ का आयोजन

इस मौके पर वैदिक ज्ञानी शान सागर व उनकी पत्नी शीलू सागर के नेतृत्व में यज्ञ का आयोजन किया गया व उसके उपरांत योजना से जुड़े लक्ष्मी नारायण मंदिर के परिसर में चल रहे स्कूल के बच्चों व नव ऊर्जा संस्थान के स्किल डेवलपमेंट सेंटर के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

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