नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। देश में महंगे होते इलाज और महंगी दवाओं से समाज का हर वर्ग प्रभावित होता आया है। हाल ही एक मीडिया संस्थान ने स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया है कि डॉक्टर की सलाह से फार्मा कंपनी वाले दवा बनाकर उसकी मनमनानी कीमत भी तय कर बाजार में उतार देते हैं। कई बार इसके खिलाफ आवाज भी उठी लेकिन ठोस काररवाई नहीं की जा सकी।
संगठित पहल से ही जेनेरिक दवाएं बाजार में
साथ लगी तस्वीर गवाह है कि ठीक 12 वर्ष पूर्व आज ही के दिन एक संगठित पहल स्वस्थ भारत न्यास ने मुंबई में की थी। न्यास के अध्यक्ष आशुतोष कुमार सिंह कहते हैं कि इस जन समस्या पर हमने ही महंगी दवाइयों को लेकर विधिवत बिगुल फूंका था जिसका परिणाम आज देश देख रहा है। इस अभियान का ही परिणाम है देश भर में जेनेरिक दवाइयों की दुकानों का खुलना और आयुष्मान भारत जैसी पहल।
सरकार भी जुटी लगाम लगाने के प्रयास में
श्री सिंह ने उस पल को याद करते हुए कहा कि उस समय से जो साथी हमारे अभियान एवं संकल्प को देख रहे हैं, उन्हें याद होगा। इस कैंपेन का सार्थक एवं जरूरी प्रभाव पड़ा है। आज भी इसकी लड़ाई जारी है। इसी का नतीजा है कि सरकार भी तमाम दवाओं की कीमतों पर लगाम लगाने में जुटी है। मालूम हो कि इस अभियान का मकसद दवाओं में मची लूट को रोकना रहा है।
मिले सकारात्मक नतीजे : डॉ. मनोज
इस बारे में बात करने पर पटना के मानसिक काउंसिलर डॉ. मनोज कहते हैं कि प्रयास तो अच्छा हुआ और नतीजे भी सकारात्मक आये। रोजमर्रे की दवाओं पर तो अधिक असर पड़ा है। इसके लिए स्वस्थ भारत न्यास धन्यवाद का पात्र है। किंतु मानसिक रोग की दवाओं की कीमत पर असर बाकी है। सरकार को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।