नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। एक स्टडी से पता चला है कि तीन राज्यों में 60 फीसद से अधिक लोग वायु की चपेट में आकर सांस से संबेधित समस्याओं से पीड़ित हुए हैं। ये राज्य हैं पंजाब, दिल्ली और राजस्थान। स्टडी किया है अर्थ सेंटर फॉर रैपिड इनसाइट्स (ECRI) ने।
आठ राज्यों में हुई स्टडी
यह स्टडी पिछले साल नवंबर में की गयी थी। इसमें बिहार, दिल्ली, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के आठ हजार से अधिक परिवार शामिल थे। इसमें पाया गया कि राजधानी दिल्ली में सांस संबंधी बीमारी सबसे गंभीर थी, जहां 65 फीसद परिवारों ने ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार स्टडी से पहले के दो हफ़्तों में सांस संबंधी बीमारी से प्रभावित 65 फीसद से ज्यादा लोगों ने कम से कम एक दिन काम या स्कूल नहीं गए। उनमें से लगभग 40 फीसद ने तीन दिन से ज़्यादा काम नहीं किया। 18-30 वर्ष की आयु वाले लोगों में से 70 फीसद से अधिक लोग एक दिन काम पर या स्कूल से अनुपस्थित रहे।
ऑफिस नहीं जा पाते लोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा सभी सर्वे किए गए राज्यों में 60 फीसद से अधिक प्रभावित लोगों ने वायु गुणवत्ता से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण पिछले दो सप्ताह में कम से कम एक कार्यदिवस गंवाया है जो उत्पादकता में काफी नुकसान का संकेत है। लिंग-वार आंकड़ों से पता चला कि 63 फीसद महिलाओं की तुलना में लगभग 67 फीसद पुरुष काम से अनुपस्थित रहे।
मास्क पहनना ज्यादा फायदेमंद
स्टडी में पाया गया कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए मास्क पहनना प्राथमिक उपाय के रूप में उभरा है। स्टडी में शामिल लगभग 40 फीसद लोगों ने मास्क का विकल्प चुना, 17 फीसद ने घर के अंदर रहने का विकल्प चुना, 11 फीसद ने अपने दरवाजे और खिड़कियां बंद रखीं तथा 8 फीसद ने एयर प्यूरीफायर का उपयोग किया। लगभग 24 फीसद लोगों ने माना कि उनके पास वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कोई रणनीति नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कम आय वाले परिवारों पर असंगत बोझ को उजागर करता हैं जिनके पास एयर प्यूरीफायर या निजी परिवहन तक पहुंच नहीं है। हालांकि दूरस्थ कार्य नीतियों और स्कूल बंद करने जैसे सरकारी हस्तक्षेप जोखिम को कम करने में मदद करते हैं, पर ये उपाय मुख्य रूप से शहरी और अमीर आबादी को ही फायदा पहुंचाते हैं। स्त्री की तुलना में पुरुषों के पास मास्क और एयर प्यूरीफायर अधिक उपलब्ध थे जबकि पुरुषों के मुकाबले अधिक महिलाएं घर के अंदर रहीं।
वायु प्रदूषण में पराली की भी भूमिका
दिल्ली में सबसे अधिक लोग मास्क पहनना पसंद करते हैं, जहां 50 फीसद लोगों ने मास्क पहनना पसंद किया, जबकि हरियाणा और मध्य प्रदेश में लगभग 11 फीसद लोग एयर प्यूरीफायर का उपयोग करने के लिए तैयार हैं। मालूम हो कि हर साल सर्दी चढ़ने से लेकर जनवरी तक वायु गुणवत्ता को लेकर परेशानी बढ़ने लगती है। एक तो सर्दी की वजह से धुध का असर होने लगता है तो दूसरी ओर पंजाब-हरियाणा में पराली जलने की घटना होने लगती है। समाचार माघ्यमों मसलन टीवी, समाचार पत्रों तक में रोज वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) की रिपोर्ट जगह पाने लगती है। दिल्ली में सरकार ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के चरणों को लागू करने लगती है। इससे एनसीआर में ज्यादातर निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लग जाता है। अनावश्यक भारी वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी जाती है। स्कूल तक बंद कर ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा दिया जाता है।