नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। दिल्ली के जनपथ रोड़ स्थित डॉ अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शरीर-अंग दान पर राष्ट्रीय अभियान स्वस्थ सबल भारत की घोषणा की। यह अभियान दाधिची देह दान समिति (दाधिची) एवं देश के 22 राज्यों से सशक्त 46 एनजीओ की अनोखी पहल है। इस आयोजन में पूर्व स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्ष वर्धन, संसद सदस्य, सुशील मोदी, परमार्थ निकेतन (ऋषिकेष) की साध्वी भगवती सरस्वती तथा दाधिची देह दान समिति के पेट्रान आलोक कुमार शामिल थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा
उन्होंने कहा कि स्वस्थ सबल भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए आपसी तालमेल वाले बुनियादी ढांचे के निर्माण की आवश्यकता है। देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां कोई eye बैंक नहीं है तथा बोन एवं स्किन बैंक ढूंढ पाना तो दुर्लभ ही है। मानव शरीर के आवश्यक अंगों की प्राप्ति एवं ट्रांसप्लांटेशन की सुविधाएं देश के कुछ ही हिस्सों तक सीमित है। ‘इस संदर्भ में मैं (उपराष्ट्रपति) भारत सरकार के अधिकारियों से बातचीत करूंगा कि सार्वजनिक एवं निजी स्वास्थ्यसेवा प्रणाली के सहयोग से सशक्त एवं व्यवहारिक ढांचे के निर्माण को वो सुनिश्चित करें’।
ड्राइविंग लाइसेंस पर लें सहमति
अभियान के बारे में सुशील मोदी ने कहा, ‘‘देश के हर राज्य में प्रशिक्षित सर्जनों द्वारा सफल अंग प्रत्यारोपण के लिए संस्थानों की स्थापना करने की तत्काल आवश्यकता है। हम इस दिशा में प्रभावी बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए प्रयास करेंगे। इसके अलावा, मेरा व्यक्तिगत सुझाव है कि हमें लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस पर ही उनसे अंग दान की सहमति लेनी चाहिए। इस तरह अगर किसी भी व्यक्ति की मृत्यु दुर्घटना में होती है या किसी व्यक्ति को ब्रेन डेड घोषित किया जाता है, तो ड्राइविंग लाइसेंस में दी गई सहमति के आधार पर उनके अंगों को दान के लिए संरक्षित रखा जा सकता है.।
17 हजार से अधिक अंगदान
दाधिची समिति के अनुसार शरीर-अंग दान में कई कानूनी दावपेच हैं, मैं आश्वासन देता हूं कि हम इन बाधाओं को दूर करने के लिए यथासंभव हर प्रयास करेंगे’-सुशील मोदी ने अपनी बात को जारी रखते हुए कहा कि 1997 में गठित दाधिची देह दान समिति ने अंग दान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए मशाल वाहक की भूमिका निभाई है। संस्था लोगों को यह बताती है कि किस तरह मृतक या जीवित दानदाता द्वारा दान किए गए अंग एक ज़रूरतमंद व्यक्ति को नया जीवन दे सकते हैं। अब तक 17 हज़ार से अधिक दानदाताओं ने अंग दान के लिए अपनी सहमति दी है। पिछले 25 सालों के दौरान दाधिची ने 353 शरीर दान, 870 आंखों के जोड़ों के दान, 6 अंग दान, दो अस्थि दान और तीन त्वचा दान के साथ उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।
देहदान पखवाड़ा घोषित हो
दाधिची के संरक्षक आलोक कुमार ने कहा, ‘हमने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि शरीर अंग दान के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए हर साल एक पखवाड़े की घोषणा की जाए। इस आवश्यकता की अनदेखी नहीं की जा सकती। प्रस्तावित पखवाड़े के दौरान, इस अभियान के सभी हितधारकों जैसे सरकार, एनजीओ, मीडिया को अंग-दान के बारे में जागरुकता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए और लोगों को भी पूरे समर्पण के साथ स्वस्थ एवं सशक्त भारत के मिशन में योगदान देना चाहिए।’
अंगदान मामले में भारत पीछे
उन्होंने कहा, ‘अंगदान की बात करें तो भारत सबसे ज़्यादा आबादी वाले देशों में शामिल होने के बावजूद अन्य विकासशील देशों की तुलना में बहुत पीछे है। इसका मुख्य कारण है जागरुकता की कमी, गलत अवधारणाएं और जटिल कानूनी संरचना। हमें विश्वास है कि इस अभियान के माध्यम से हम अधिक लोगों को शरीर-अंग-नेत्र दान के बारे में जागरुक और प्रोत्साहित करने के अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकेंगे।’