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मस्तिष्क में मिर्गी-क्षेत्र के सटीक निर्धारण के लिए नया उपकरण

नयी दिल्ली। आईआईटी, दिल्ली के शोधार्थी ने मस्तिष्क में मिर्गी-क्षेत्र के सटीक निर्धारण के लिए नया उपकरण खोजा है जिसकी सहायता से मरीज का आसानी से सटीक इलाज किया जा सकता है। मिर्गी (Epilepsy) को दुनिया में चौथे सबसे आम तंत्रिका विकार (neurological disorder) के रूप में चिन्हित किया जाता है। यह विश्व में हर वर्ष लाखों लोगों को प्रभावित करता है।

चेतना लुप्त कर देती मिर्गी

इस रोग से शरीर पर आंशिक अथवा संपूर्ण रूप से पड़ने वाले अनैच्छिक प्रभाव देखने को मिलते हैं, जिन्हें आमतौर पर दौरे के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के दौरों का कारण शरीर में अत्यधिक एवं असंतुलित विद्युतीय प्रवाह को माना जाता है, जिससे चेतना लुप्त हो जाती है। ऐसी स्थिति बन जाती है कि प्रभावित व्यक्ति का अपनी आंतों या मूत्राशय के कार्य पर नियंत्रण नहीं रहता है।

जिम्मेदार क्षेत्र की पहचान कम समय में

मिर्गी के लिए जिम्मेदार मस्तिष्क क्षेत्र, जिसे एपिलेप्टोजेनिक ज़ोन (Epileptogenic Zone) के नाम से जाना जाता है, की पहचान के लिए भारतीय शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में एक नये डायनोस्टिक उपकरण की पेशकश की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह उपकरण प्रचलित विधियों की तुलना में अधिक अनुकूल है, जिसकी मदद से बिना चीरफाड़ कम समय में एपिलेप्टोजेनिक ज़ोन की पहचान की जा सकती है।

महत्वपूर्ण प्रयास

आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर ललन कुमार के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने मिर्गी फोकल की पहचान के लिए बिना चीरफाड़ ईईजी आधारित ब्रेन सोर्स लोकलाइज़ेशन (BSL) फ्रेमवर्क विकसित किया है जो कम समय में परिणाम दे सकता है और रोगी के अनुकूल है। प्रोफेसर कुमार का कहना है कि “बिना चीरफाड़ और कम समय में मिर्गी क्षेत्र का पता लगाने से जुड़ा यह प्रयास महत्वपूर्ण है।” यह अध्ययन शोध पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है।

इंडिया साइंस वायर से साभार

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