भारतीय शिक्षण मंडल के फेसबुक लाईव चर्चा में बोलते हुए डॉ. राजीव कुमार ने विकसित भारत व आत्मनिर्भर भारत के लिए सात सूत्रीय सुझाव दिया है। पढ़ें पूरी रपट
नई दिल्ली/ एसबीएम
लॉकडाउन परिस्थिति से उत्पन्न हालातों से निपटने के लिए देश के मुखिया ने आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है। पीएम ने इस मंत्र के जरिए भारत को एक बार पुनः जगत गुरु बनाने का सपना हम भारतवासियों को दिखाया है। इस सपने को धरातल पर उतारने के लिए आवश्यक राह की ओर नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ.राजीव कुमार ने देश का ध्यान आकृष्ट किया है। पिछले दिनों भारतीय शिक्षण मंडल द्वारा आयोजित फेसबुक लाइव चर्चा में उन्होंने भारत की विकास की दिशा कैसी हो, इस विषय पर विस्तार से अपना प्रबोधन दिया। उनकी बातचीत में निम्न पांच बिन्दु उभर कर सामने आए-
- विकास के लिए जनान्दोलन खड़ा करना।
- भारतोन्मुखी नीतियों का निर्माण करना तथा उसे वैश्विक पटल पर रखना।
- कृषि के क्षेत्र में तनाव-रहित अनुप्रयोगों को सरकार द्वारा बढ़ावा देना।
- आत्मनिर्भर गांव का निर्माण करना।
- मातृभाषा को केन्द्र में रखकर बिना भेद भाव के विविध भाषाओं को बढ़ावा देना।
अपनी पूरी चर्चा में नीति आयोग के उपाध्यक्ष भारत को सशक्त, आत्मनिर्भर, विकसित बनने की राह दिखाते रहे। उन्होंने कहा कि भारत के विकास हेतु स्वतंत्रता आन्दोलन के तर्ज पर एक जन आन्दोलन खड़ा करने की जरूरत है। इससे भारत का सर्वांगीण विकास हो सकेगा। भारतीय शिक्षण मंडल के फेसबुक पेज पर अपने विचार को रखते हुए उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग भारत के सर्वांगीण विकास के लिए सरकार को ही जिम्मेदारी लेनी के बात कहते हैं जो कि एक गलत अवधारण है। उनके कहने का मतलब यह था कि जब तक सभी नागरिक भारत के विकास के लिए अपना शत प्रतिशत सहयोग नहीं करेगा तब तक सरकार अकेले इस लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकती है। इस संदर्भ को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर उठ कर देश हित के बारे में सोचना चाहिए और प्रत्येक नागरिक को देश के विकास में अपना योगदान सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने भारत के सर्वांगीण विकास के लिए सात सूत्री योजना बताई। इसके तहत उन्होंने कहा-
- सबसे पहले तो हमें भारतीय भाषाओं को महत्व देते हुए अपनी भाषाओं के विस्तार के द्वारा अंग्रेजी के विस्तार को संकुचित करना चाहिए।
- सरकारों को और अधिक पारदर्शी तथा जवाबदेह होना चाहिए।
- विकास की अवधारणा पर चिंतन-मनन की जरूरत है।
- निजी संस्थाओं का पुनर्संगठन की ओर ध्यान देना होगा।
- रोजगार के बदलते परिवेश पर ध्यान देने की बहुत जरूरत है।
- कृषि में न्यूनतम् तनाव व अधिकतम लाभ की प्रक्रिया से कार्य करना चाहिए।
- शहरीकरण के स्थान पर ग्रामीण और शहरी दोनों का विकास हो ऐसा प्रयास करना चाहिए जिससे प्रकृति का नुकसान न हो। विकास की क्षेत्रीय विसमताओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि हम ऑनलाइन शिक्षा की बात तो करते हैं लेकिन भारत के केवल 35 प्रतिशत विद्याल्यों में ही इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध है दूसरी तरफ 65 प्रतिशत विद्यालयों तक बिजली की सुविधा है। ऐसे में ई-शिक्षा के सपने को पूर्ण करने के लिए ढाचागत विकास पर जोर देना होगा। आगे उन्होंने गांधी जी के विकास के मॉडल के आधार मानते हुए कहा कि गांव को आत्मनिर्भर बनना होगा। आज दुनिया में तकनीक का परिवर्तन बहुत तेजी से हो रहा है इसलिए देश को और गांव को उस परिस्थिति अनुसार आगे बढ़ने की जरूरत हैं नहीं तो हम पीछे रह जायेंगे। गांव को पैदावार और निर्यात पर जोर देना चाहिए न कि आयात पर। हमें एकल-केन्द्रित विचारों को रखने की बजाए इन्टरनेट की सुविधा से बहूल-केन्द्रित करने की जरूरत है, जिससे शहरों के भार कम हो सकें।
डॉ. कुमार ने अपने वक्तव्य के अंत में प्रतिभागियों, शिक्षाविदों, उद्योगिक ईकाइयों के मालिकों के प्रश्नों के उत्तर भी दिए जो देश के विभिन्न हिस्सों से लाईव कार्यक्रम से जुडे थे। इस पूरे व्याख्यान का समन्वयन रिसर्च फॉर रिसर्जेंश फाउंडेशन (RERF) के संयोजक डॉ. राजेश बेनिवाल जी ने किया।
भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संयोजक मुकुल कानितकर जी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि डॉ. कुमार ने कठिन विषयों को बड़े ही सरल तरीके से भारतीय शिक्षा मंडल के कार्यकर्ताओं और श्रोताओं के मध्य रखा है जो कि अनुकरणीय प्रयास है। कानितकर ने ऐसा विश्वास दिलाया कि डॉ. राजीव कुमार के इस दृष्टिकोण के साथ और उनके सपनों के भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पूरा भारतीय शिक्षण मंडल उनके साथ है। इस गृहवास की अवधी को सकारात्मक, सृजनात्मक और रचनात्मक उपयोग हेतु इस तरह के कार्यक्रमों को शिक्षण मंडल विगत दिनों में भी आयोजित करता रहा है और आगे भी करते रहने का विश्वास दिलाता है।
यह भी पढ़ें-
गौरवान्वित हुआ भारतः डॉ. हर्ष वर्धन बने WHO के कार्यकारी बोर्ड के अध्यक्ष
आत्महत्या कर रहे हताश-निराश-मजबूर मजदूरों को समझना-समझाना जरूरी
बॉलीवुड के इन कोरोना योद्धाओं को प्रणाममीडिया को समाज के लिए उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए: प्रो. के.जी. सुरेश
कोरोना जंग में पड़ोसी देश पाकिस्तान कहां खड़ा है?