पाकिस्तान और चीन से भी काफी महंगी
नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। फार्मा कंपनी रॉश (Roche) भारत में स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) की दवा काफी महंगी कीमत पर बेच रही है। चीन और पाकिस्तान के मुकाबले भारत में कंपनी की दवा 15 गुना तक महंगी हैं। भारत में इसकी एक शीशी की कीमत 6.2 लाख रुपये है जबकि यही दवा चीन में 44,692 रुपये और पाकिस्तान में 41,002 रुपये की मिल रही है। यह एक घातक, न्यूरोमस्कुलर और प्रोग्रेसिव आनुवंशिक बीमारी है। 20 किलो से ज्यादा वजन वाले मरीज को साल में 36 बोतल दवा की जरूरत होती है।
कोर्ट में हुआ इसका खुलासा
कुछ दिन पूर्व दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे एक मामले में सीनियर काउंसल आनंद ग्रोवर ने कहा कि चीन और पाकिस्तान में एसएमए की कीमत भारत के मुकाबले दस फीसदी से भी कम है। उधर रॉश इंडिया के प्रवक्ता ने एक हेल्थ पोर्टल से कहा कि हम Evrysdi का स्थायी, व्यापक और तेज एक्सेस चाहते हैं। हम टेलर्ड प्राइसिंग सॉल्यूशंस के लिए मिलकर काम करना चाहते हैं। जल्दी से जल्दी इसे लागू करने के लिए हम लोकल अथॉरिटीज के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दुनिया के दूसरे देशों में हमने ऐसा किया है। हमें उम्मीद है कि इससे भारत में भी मरीजों को सस्ती कीमत पर दवा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी।
मरीज हजार पार, मुफ्त दवा 300 को
FSMA इंडिया चैरिटेबल ट्रस्ट ने एसएमए बीमारी से जूझ रहे बच्चों को सस्ती कीमत पर दवा उपलब्ध कराने के लिए यह याचिका दायर की है। यह ट्रस्ट इस रोग से जूझ रहे लोगों के परिजनों ने बनाया है। मरीजों के ग्रुप ने 2017 में पहली बार कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसके बाद सितंबर 2019 में CURE SMA फाउंडेशन ने इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने के लिए एक हस्तक्षेप याचिका दायर की थी। फाउंडेशन में 1000 से अधिक मरीज रजिस्टर्ड हैं। ह्यूमैनिटेरियन एक्सेस/कंपेशनेट यूज प्रोग्राम के तहत केवल 300 मरीजों को ही मुफ्त दवा दी जा सकती है। दुनिया में इसके इलाज के लिए केवल तीन कंपनियों बायोजेन, नोवार्तिस और रॉश की दवाओं को मंजूरी मिली है।