मलेरिया और कैंसर से हमारी लड़ाई को सराह रही दुनिया
नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात के 117वें एपिसोड में आयुर्वेद के विश्वव्यापी विस्तार की झलक दिखायी दी तो कैंसर और मलेरिया के खिलाफ संघर्ष की भी चर्चा हुई। उन्होंने अमेरिका के पैराग्वे कें बहाने आयुर्वेद की बढ़ती वैश्विक उपस्थिति के बारे में बताया। पैराग्वे के भारतीय दूतावास में एरिका ह्यूबर आयुर्वेद परामर्श देती है। बड़ी संख्या में स्थानीय लोग आयुर्वेद आधारित सलाह लेने के लिए उनसे संपर्क कर रहे हैं।
कई पहलों से आयुर्वेद का प्रसार
जहां तक आयुर्वेद की बात है, आयुष मंत्रालय ने अनुसंधान और शिक्षा को बढ़ावा देते हुए 24 देश-स्तरीय और 48 संस्थान-स्तरीय समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हुए है। वैश्विक स्तर पर 15 अकादमिक स्थापित की गई हैं। आयुष सूचना प्रकोष्ठ 35 देशों में 39 स्थानों पर काम करते हैं। WHO के अलावा वियतनाम, मलेशिया और मॉरीशस के साथ आयुर्वेद पर ऐतिहासिक समझौता हो चुका है। आयुष वीजा और हील इन इंडिया जैसी पहल से भी दुनिया आकर्षित हो रही है।
मलेरिया पर भी शिकंजा कसा
इसी एपिसोड में प्रधानमंत्री ने मलेरिया और कैंसर के खिलाफ लड़ाई में हासिल की गई उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों की संख्या में 80 प्रतिशत की कमी आई है। मलेरिया सभी संक्रामक रोगों में तीसरे स्थान पर है। यह चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है। जनभागीदारी से ही यह संभव हो सका है।
आयुष्मान योजना से गरीब कैंसर मरीजों को लाभ
कैंसर के खिलाफ लड़ाई पर प्रधानमंत्री ने मेडिकल जर्नल लैंसेट के एक अध्ययन का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि भारत में समय पर कैंसर का इलाज शुरू होने की संभावना बहुत बढ़ गई है। उन्होंने कैंसर रोगियों को 30 दिनों के अंदर समय पर उपचार सुनिश्चित करने में आयुष्मान भारत योजना की भूमिका पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस योजना की वजह से 90 प्रतिशत कैंसर रोगी समय पर अपना इलाज शुरू कर पाए हैं। गरीब कैंसर मरीजों के लिए आयुष्मान भारत योजना बड़ा सहारा बन गई है।