नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने बेंगलुरू में 3 जनवरी को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहंस) के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित किया।
कई नई सुविधाएं चालू
इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि रोगियों की असाधारण सेवा, अभिनव अनुसंधान और कठोर शैक्षिक पाठ्यक्रम ने निमहंस को मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान में एक अग्रणी संस्थान बना दिया है। उन्होंने कहा कि निमहंस का इतिहास उन्नीसवीं सदी से शुरु होता है और इस प्रकार इस संस्थान का विकास भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवा के विकास को प्रभावित करता है। मालूम हो कि इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन से नेल्सन मंडेला पुरस्कार प्राप्त हो चुका है। राष्ट्रपति ने निमहंस के मिशन को आगे बढ़ाने के लिए कई नई सुविधाओं का उद्घाटन किया। ये हैं-साइकिएट्री स्पेशलिटी ब्लॉक, सेंट्रल लेबोरेटरी कॉम्प्लेक्स, भीम छात्रावास, नेक्सट जनरेशन 3टी एमआरआई स्कैनर और उन्नत डीएसए प्रणाली आदि।
गुणवत्तापूर्ण सेवा में निमहंस अग्रणी : नड्डा
इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने निमहंस को भारत के प्रमुख संस्थानों में से एक बनाने के लिए सभी छात्रों और संकाय सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि निमहंस में मरीजों की संख्या में पांच गुना से भी अधिक वृद्धि हुई है। मरीजों की संख्या 1970 के दशक में 10 लाख से भी कम थी, जो पिछले दशक में 50 लाख से भी अधिक हो गई है। जिस पैमाने पर निमहंस अपने मरीजों का इलाज करता है, वह उसे भारत में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा में अग्रणी बनाता है।
दिग्गजों की रही उपस्थिति
इस मौके पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कर्नाटक के चिकित्सा शिक्षा मंत्री और निमहंस के उपाध्यक्ष डॉ. शरणप्रकाश आर. पाटिल, सांसद पीसी मोहन, तेजस्वी सूर्या, डॉ. सीएन मंजूनाथ, यदुवीर कृष्णदत्त चामराजा वाडियार एवं निमहंस की निदेशक डॉ. प्रतिमा मूर्ति भी उपस्थित थे।