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पालतू पशुओं के लिए भी अस्पताल बनवाया रतन टाटा ने

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा तो नहीं रहे लेकिन उनके प्रेम व दया के काम उन्हें सदा जीवित रखेंगे। इंसानों के लिए जटिल और खर्चीली बीमारी कैंसर रोगियों के लिए अस्पताल बनवाने में वे आगे रहे तो उतना ही प्रेम पशुओं को भी दिया। उन्होंने पशुओं के लिए भी मुंबई में अस्पताल बनवाया जो यह इसी साल तुलाई में चालू हुआ है।

दया और करुणा के प्रतीक रहे दिग्गज उद्यमी

समय-समय पर आवारा कुत्तों के प्रति उनकी स्नेह भावना प्रकट होती रही है। उन्होंने आवारा कुत्तों के प्रति संवेदना दिखाते हुए उनकी सेहत और देखभाल के लिए ठोस कदम भी उठाए। मृत्युपर्यन्त उनके साथ रहे शांतनु नायडू भी पहले आवारा कुत्तों की सेवा करते थे। इसी कार्य ने उनको रतन टाटा के करीब लाया। रतन टाटा की यह दया और करुणा के कारण उनका आखिरी प्रोजेक्ट स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल के रूप में सामने आया है। यह अस्पताल 1 जुलाई 2024 को खुला और अपने 98,000 वर्ग फुट के बड़े एरिया में वर्ल्ड क्लास सुविधाओं के साथ पेट्स का इलाज कर रहा है।

पशु अस्पताल में आधुनिक सुविधाएं

रिपोर्ट के मुताबिक इस अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवाएं दी जा रही हैं। गंभीर बीमार और घायल जानवरों के लिए जीवनरक्षक उपकरण तथा एडवांस डायग्नोस्टिक सुविधाएं जैसे सीटी स्कैन, एमआरआई, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड यहां उपलब्ध हैं। इस 165 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को रतन टाटा ने विशेष रूप से आवारा डॉग्स और अन्य छोटे जानवरों के लिए समर्पित किया था। अस्पताल में डर्मेटोलॉजी, डेंटल, ऑप्थैल्मोलॉजी और अन्य विशेष उपचार सेवाओं के अलावा, इन-हाउस पैथोलॉजी लैब और अलग-अलग इंतजार करने के क्षेत्र डॉग्स और बिल्लियों के लिए हैं, जिससे पशु मालिकों और उनके पालतुओं को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

डॉग लवर थे रतन टाटा

रतन टाटा ने कई बार अपने सोशल मीडिया पर डॉग्स के प्रति अपने स्नेह की झलक दी। उन्होंने एक बार मुंबई के सायन अस्पताल में मिले एक खोए हुए डॉग्स के लिए भी मदद की अपील की थी। उन्होंने मॉनसून में आवारा डॉग्स की सुरक्षा के लिए भी जनता से अनुरोध किया था कि वे अपनी कार के नीचे छुपे डॉग्स का ध्यान रखें ताकि कोई दुर्घटना न हो। रतन टाटा का यह अस्पताल उनके द्वारा बेगुबानों के लिए किए गए उनके योगदान का सबसे बड़ा प्रतीक है और उनका प्यार और देखभाल हमेशा इस स्मॉल एनिमल हॉस्पिटल के रूप में जीवित रहेगी।

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