नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् (CCRAS) ने भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग (NCISM) के साथ मिलकर आयुर्वेद के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मजबूत नैदानिक अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट 2.0 कार्यक्रम शुरू किया है। इसका मकसद शिक्षण पेशेवरों के बीच आयुर्वेद अनुसंधान को मुख्यधारा में लाने का प्रयास है।
अनुसंधान को बढ़ावा मकसद
CCRAS के महानिदेशक प्रोफेसर (वीडी) रबीनारायण आचार्य के अनुसार इस अध्ययन का उद्देश्य बाल कासा, कुपोषण, अपर्याप्त स्तनपान, असामान्य गर्भाशय रक्तस्राव, रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस और डायबिटीज मेलिटस (DM) जैसे अनुसंधान के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में सुरक्षा, सहनशीलता और आयुर्वेद फॉर्मूले का पालन करना है। CCRAS आयुर्वेद में वैज्ञानिक आधार पर अनुसंधान के नियमन, समन्वय, विकास और प्रचार का शीर्ष संगठन है जो आयुष मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
10 जनवरी तक है मौका
इसके तहत 38 कॉलेजों के शिक्षण पेशेवरों की सक्रिय भागीदारी से लगभग 10 बीमारियों को शामिल किया गया। इच्छुक व्यक्ति आयुर्वेद शैक्षणिक संस्थान CCRAS की वेबसाइट पर जाकर या 10 जनवरी तक ईमेल से संपर्क कर सकते हैं।