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Study : प्रसव के बाद महिलाओं में लंबे समय तक समस्या

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। भारत में प्रसव के बाद हर साल करीब चार करोड़ महिलाओं को लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझने की आशंका होती है। द लांसेट ग्लोबल हेल्थ पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन से यह जानकारी मिली है। अध्ययनकर्ताओं को पता लगा कि एक तिहाई (35 प्रतिशत) से अधिक महिलाओं में संभोग के दौरान दर्द होने का लक्षण देखा गया जबकि 32 फीसद महिलाओं ने कमर के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत की। प्रसव के बाद महिलाओं में पेशाब आने पर काबू न होना (8-31 प्रतिशत), बेचैनी (9-24 फीसद), अवसाद (11-17 फीसद) और योनिा में दर्द (11 फीसद) की शिकायत मिली।

कनाडा : महिलाओं में एंडोमेट्रियोसिस की शिकायत

कनाडा की 10 लाख महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से ग्रस्त हैं। इसमें एंडोमेट्रियल ऊतक असामान्य रूप से बढ़कर गर्भाशय से बाहर फैलने लगते हैं। ये ऊतक आम तौर पर मासिक धर्म के दौरान खत्म हो जाता है और प्रजनन में सहायता के लिए दोबारा उत्पन्न हो जाता है। एंडोमेट्रियोसिस के दौरान एंडोमेट्रियल ऊतक गर्भाशय के अंदर और बाहर दोनों जगह अत्यधिक बढ़ता है, जिससे पैल्विक नामक हिस्से में दर्द होता है और मासिक धर्म व गैर-मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक ऐंठन, थकान होने के साथ-साथ प्रजनन क्षमता कम हो सकती है। अब सरकार ने इसके रोगियों और अनुसंधान के लिए 16 लाख डॉलर से अधिक के पैकेज की घोषणा की है।

वैक्टीरिया की आसान पहचान का तरीका मिला

नॉर्वेजियन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NTNU) ने बैक्टीरिया के जेनेटिक मेटीरियल की पहचान के लिए एक सरल तरीका विकसित किया है। यह तेजी से पता लगाने में मदद करता है कि एक बीमार व्यक्ति या जानवर किस प्रकार के बैक्टीरिया से प्रभावित है या खाने में किस प्रकार के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। तभी सटीक एंटीबायोटिक दवा देना फायदेमंद रहेगा। यह स्टडी प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (PNAS) जर्नल में प्रस्तुत किए गए हैं। नयी विधि के तेज होने का एक कारण यह है कि रोगी को जीन एम्प्लीफिकेशन नामक स्टेज से गुजरना नहीं पड़ता है।

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