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Swasthya sansad 24-भोजन की थाली में हो हर रंग के पदार्थ : डॉ. विजेंद्र

जैसा कहा, वैसा लिखा….जी हां, स्वास्थ्य संसद-24 में आचार्य नरेंद्र देव कृषि व प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति डॉ. विजेन्द्र सिंह ने ऐसा ही कहा था। लीजिए उनके वक्तव्य का संपादित रूप।

नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय को इसी वर्ष नैक की उपाधि मिली है। इससे आप समझ सकते हैं कि यह विश्वविद्यालय भारत में कृषि के क्षेत्र में काफी उत्कृष्ट काम कर रहा है। इसमें चांसलर और गवर्नर आनंदी बेन का बहुत सहयोग मिला है। मुख्यमन्त्री जी की भी कृपा रहती है। कृषि मंत्री भी आते-जाते रहते हैं। इस हरे भरे कैंपस के निर्माण का श्रेय छात्रों को जाता है।
यहाँ उग रही साग-सब्जी, धान और मोरिंगा की फसल और अन्य शोध के लिए मैं सबको प्रेरित कर रहा हूँ। यह विश्वविद्यालय जाना जाता है अमृत फल आंवला की सात प्रजाति के लिए जिसे हमने पूरे देश में भेजा है। धान की अनेक प्रजातियों के लिए हमारा विश्वविद्यालय प्रसिद्ध है। यहां 25 विभाग और 6 रिसर्च सेंटर हैं। हम सब मिलकर पर्यावरण, कृषि, मत्स्यकी, वानिकी, उद्यान और पशुविज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान और शिक्षा एक छत के नीचे दे रहे हैं। 21 प्रदेश और 6 देश के स्टूडेंट यहां आते हैं।

मैं खुद पेशे से सब्जी वैज्ञानिक हूँ, मैं विशेषज्ञ हूँ सब्जी के न्यूट्रिशन वैल्यू का। सब्जी को कब खाएं, कैसे खाएं…इस पर हमने बहुत से शोध किए हैं। मोरिंग में मेरा तीन पेटेंट भी है, मोरिंग सूप और मोरिंग ड्रिंक पर पेटेंट, इन्स्टेन्ट खीर मिक्स भी हमने हाल ही में तैयार किया है। BHU के कृषि विभाग में काम करते व्यक्त मैं ऐसे प्रयोग करता रहता था। हमने यह विचार किया कि भारत में हर मौसम में हर सब्जी नहीं उगती। तो हमने किस सीजन में कौन सी सब्जी खाएं, इस पर रिसर्च किया है।
अगर आपको स्वस्थ रहना है तो हफ्ते में 15 तरह की सब्जी जरूर खाएं। किसी सब्जी में कोई विटामिन मिनिरल होता है, किसी में कुछ, इसलिए। 15 सब्जी खा कर आप शरीर में जरूरी तत्वों की पूर्ति कर सकते हैं। मोरिंग पर मेरी दो बुक है। क्या आप जानते हैं मोरिंगा में संतरे से 7 गुणा ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है। गाय के दूध में 3.5 फीसद प्रोटीन होता है जबकि मोरिंग में 6.6 फीसद। केले में 120 ग्राम पोटेसियम है तो मोरिंग में 240 ग्राम। मोरिंगा को प्रतिदिन 5 से 10 ग्राम पत्ती या पाउडर के रूप में लेने से सारे न्यूट्रिशन शरीर को मिल जाते हैं।
मेरा मानना है कि हमारे भोजन की थाली में सभी कलर होने चाहिए। हरा, लाल, पीला और नारंगी। सब तरह के फल और सब्जी को उसमें शामिल करें। हर रंग का हमारे शरीर पर अलग प्रभाव होता है। हमने लाल भिंडी का इनोवेशन किया है। पहले भिंडी बड़ी होती थी। हमने उसे बौना किया, फिर उसमें लाल रंग मिश्रित किया और लाल भिंडी का निर्माण किया जिसे खूब पसंद किया जाता है। बथुआ भी बहुत उपयोगी है। यह दाल के गुणों से भरा हुआ है। हमने अब तक 62 प्रकार की सब्जियां उगाई हैं। सब्जी वैज्ञानिक होने के कारण उसमें न्यूट्रिशन वैल्यू को बढ़ाया है। आप देखो, जब हम आजाद हुए थे तो तीन समय का भोजन नहीं मिलता था। अब हमने 80 करोड़ लोगों को भोजन उपलब्ध कराया है और एक वर्ष का अनाज भंडारण में रखा है।

हाँ, हरित क्रांति ने देश में कृषि और जमीन में जो प्रयोग किए, उससे कई समस्या का जन्म हुआ है। इसलिए वैकल्पिक भोजन प्रणाली के तहत हमने भी मिलेट पर शोध शुरू किया है। हमारे यहां मोटे अनाज के पकवान बनाए जा रहे हैं। देश भर में उसको भेजा जा रहा है। मेरी गुजारिश है आप सभी गोशाला में जाएं, गाय को देखें। वहाँ एड्वान्स टेक्नोलॉजी है। फीमेल ही उत्पन्न हो, इसका उपाय किया गया है। मानव का सम्पूर्ण स्वास्थ्य पशु स्वास्थ्य के बिना पूर्ण नहीं होता। हमारे यहां के पशु विज्ञान विभाग में पशु से उत्पन्न होने वाले रोग पर शोध और उसके समाधन की खोज की जा रही है ताकि देश कोविड जैसी महामारी से खुद को बचा सके।
हम आगे बढ़ रहे और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी काम हो रहा है। सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए हमे सजग और सहज रूप से अपने भोजन में संतुलन लाना होगा। तभी हम स्वास्थ्य पूर्ण जीवन का आनंद ले सकेंगे। सब्जी खाइए और मोटे अनाज का प्रयोग करिए। अपने स्वास्थ्य के साथ प्रकृति और जीव जन्तु का भी ध्यान रखिए। सबका स्वस्थ रहना जरूरी है। तभी हम लंबा और अच्छा स्वस्थ पा सकेंगे।

संपादन : अजय वर्मा

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