जैसा कहा, वैसा लिखा….जी हां, अयोध्या में संपन्न हुए स्वास्थ्य संसद-24 में न्यूट्रिशियन व पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट अनन्या अवस्थी ने ऐसा ही कहा था। लीजिए उनके वक्तव्य का संपादित रूप।
केंद्र सरकार ने कुपोषण मुक्त भारत की नीति बनाई है। भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है जिसमें मालन्यूट्रिशन पर बात होती है। मालन्यूट्रिशन क्या है? इसके शिकार कौन लोग हैं? मालन्यूट्रिशन या तो पोषक तत्व की कमी है या ज्यादा या डिसॉर्डर जैसी स्थिति है। इसके सबसे ज्यादा शिकार जच्चा और बच्चा हैं। इस समस्या पर महिला बाल विकास मंत्रालय काम कर रहा है। यही इनके समाधान के लिए पोषण अभियान चलाता है। इस अभियान का लक्ष्य किशोरियों, माँ और बच्चे को पोषण देने पर केंद्रित हैं।
कुपोषण का हल निकालने के लिए उसे समझना जरूरी है।
इसका पहला लेवल है अन्डर न्यूट्रिशन यानि सही ढंग से पोषण नहीं मिलना, ठिगनापन और वेट नहीं बढ़ना। नेशनल फैमिली सर्वे में 2019-2021 में आधे बच्चों को एनीमिया निकला। इसके अनुसार हर छठी गर्भवती एनीमिक है। दूसरी समस्या है जिसमें बच्चा मोटा-ताजा दिखता है लेकिन अंदर से कमजोर है। उसमें माइक्रो न्यूट्रिएंट की कमी है। तीसरा है ओवर न्यूटिषन। यह मधुमेह आदि का कारण है। हमने कभी ओवर न्यूटिषन पर ध्यान नहीं दिया है। आज बच्चे हफ्ते में 3 बार पैक्ड फूड खाते हैं। आज वे मोटापा और मधुमेह से ग्रस्त हैं। भारत में करीब एक तिहाई बच्चे कुपोषित हैं और एनीमिया इसके साथ बड़ी समस्या है। स्वस्थ भारत का अगला अभियान अगर आशुतोष जी एनिमिया पर करें तो इससे न केवल महिला बल्कि भारत का बच्चा भी जागरूक होगा कि खून की कमी और पोषण की कमी से कैसे निजात पाया जा सकता है।
कुपोषण से उभरने के लिए पोषण के पांच सूत्र अपनाएं। पहला, पहले हजार दिन जब बेबी का निर्माण हुआ और बच्चे के जन्म से लेकर 2 साल तक उसका कैसे ख्याल रखा जाए। इसमें क्या खानपान हो, यही उसके विकास और पोषण का निर्णायक होता है। 2-आहार ही औषधि है। लोकल भोजन श्रीअन्न, मोटा अनाज का उपयोग ही मिताहार है। इस पर हुआ रिसर्च कहता है कि जितना आप रिफाइंड, मैदा, चावल और चीनी खाते हैं, इससे इंसुलिन गड़बड़ होता है। आहार संतुलित होना चाहिए। तीसरा एनीमिया को ठीक करना। उसकी दवा गर्भवती को देने पर जोर दिया जा रहा। डायरिया पर रोक-पाँच साल से पहले के बच्चों को भारत में पोषण ठीक नहीं होने के कारण में से एक है साफ-सफ़ाई का ध्यान नहीं दिया जाना। स्वच्छता से पोषण को ठीक करने पर सरकार का जोर है। हाथ नहीं धोने और उसी हाथ से भोजन करने से डायरिया होता है इसलिए ओआरएस का घोल ले। गर्भवती महिला प्री टेस्ट कराएं ताकि जो कमी है उसको न्यूट्रिशन के रूप में ओमेगा, सोया, पालक आदि देकर दूर की जा सके। महिला और बच्चों के लिए घर की रसोई में दादी-नानी के उपयोगी नुस्खे ज्यादा कारगर है। उनका अनुभव अब सत्यापित हो गया है। मां का दूध पहले 6 माह तक जरूर पिलाएं। मार्केट का दूध बच्चे को नहीं देना है।