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साइबर फोरेंसिक साक्ष्यों को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। साइबर फोरेंसिक लैबोरेट्री-कम-ट्रेनिंग सेंटर फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी, भारत सरकार की एक इकाई है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध की रोकथाम योजना हेतु पुलिस कर्मियों के लिए साइबर फोरेंसिक साक्ष्यों की जब्ती और अपराध के दृश्य से डिजिटल प्रदर्शनी/भंडारण मीडिया के संग्रह की मूल बातें पर प्रथम एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (CCPWC), गृह मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया है।

सतर्क रहना होगा डिजिटल साक्ष्य के प्रति

साइबर फोरेंसिक विशेषज्ञों ने इस क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा किया और इस विषय पर प्रशिक्षण भी प्रदान किय। प्रयोगशाला की निदेशक सुश्री दीपा वर्मा ने कहा कि संग्रह, संरक्षण व डिजिटल साक्ष्य के परिवहन के दौरान अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए। व्यक्ति विशेष को अपराध के इलेक्ट्रॉनिक दृश्य में डिजिटल साक्ष्य के प्रबंधन से अच्छी तरह वाकिफ होना चाहिए। बिना किसी मूल्यवान जानकारी को खोए डिजिटल साक्ष्य को कैसे पहचानना, जब्त करना और सुरक्षित रखना है इसकी जानकारी अत्यंत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि प्रयोगशाला में इस प्रकार की प्रशिक्षण सुविधा, प्रयोगशाला की वृद्धि का ही एक हिस्सा है और यह साइबर अपराध की जांच में अत्यंत उपयोगी भी साबित होगी।

अच्छे ज्ञान से सही जांच संभव

साइबर फोरेंसिक के प्रमुख व पाठ्यक्रम समन्वयक डॉ. वीरेंद्र सिंह ने कहा कि न्यायपालिका, लोक अभियोजकों और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के अधिकारियों के लिए तीन दिवसीय व्यवहारिक सत्र के साथ-साथ विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए प्रशिक्षण का भी आयोजन किया जाएगा। क्राइम सीन प्रभाग के प्रमुख संजीव गुप्ता ने कहा कि किसी भी जांच में एक कंप्यूटर सिस्टम और उसके घटक मूल्यवान सबूत होते हैं। हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, फोटो, इमेज फाइल और कंप्यूटर सिस्टम में मिले साक्ष्य, बहुत मूल्यवान साबित हो सकते हैं व साइबर अपराध की रोकथाम में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अच्छे ज्ञान और कौशल के बिना जांच अधिकारी को कंप्यूटर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से साक्ष्य का पता लगाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। प्रयोगशाला द्वारा दी जा रही यह प्रशिक्षण सुविधा उनके ज्ञान को बढ़ाएगी। उप निदेशक के.सी. वार्ष्णेय एवं साइबर विशेषज्ञ अजय कुमार एवं प्रयोगशाला के अन्य अधिकारी भी समापन सत्र में उपस्थित थे।

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