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यूनानी दिवस—चिकित्सा प्रणालियों को सशक्त कर रहा भारत : राष्ट्रपति

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नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि हमारे देश ने स्वास्थ्य के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। यहां विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों को उचित सम्मान देकर उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के अनुसार यूनानी सहित आयुष चिकित्सा प्रणालियों को मुख्यधारा में लाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।

यूनानी दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन

यूनानी दिवस के अवसर पर 11 फरवरी को दिल्ली में एकीकृत स्वास्थ्य समाधान के लिए यूनानी चिकित्सा में नवाचार–एक नई दिशा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का राष्ट्रपति उद्घाटन कर रही थीं। उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए राष्ट्रीय आयोग के मार्गदर्शन में यूनानी चिकित्सा के अनेक शिक्षण संस्थानों में अध्ययन और शोध कार्य चल रहा है। यूनानी मेडिकल कॉलेजों में एमडी और पीएचडी कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यूनानी चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने वाली नई पीढि़यां ज्ञान और अनुभव की प्राचीन विरासत को मजबूत बनाएंगी।

यूनानी ​चिकित्सा के प्रसिद्ध हकीम का किया स्मरण

अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि आज का दिन हकीम अजमल खां को याद करने का अवसर है, जिनके सम्मान में 2016 से इस दिन को यूनानी दिवस के रूप में मनाया जाता है। अजमल खां ने भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति का प्रसार किया। उन्होंने नवाचार के कई उदाहरण प्रस्तुत किए। उनके प्रयासों के कारण भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति को व्यापक रूप से अपनाया गया। राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत शिक्षा, शोध, स्वास्थ्य सेवा और यूनानी पद्धति में औषधियों के निर्माण के मामले में दुनिया में अग्रणी है। उन्हें इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि यूनानी पद्धति से जुड़े शोधकर्ता और चिकित्सक आधुनिक पद्धतियों और प्रौद्योगिकी के उपयोगी आयामों को अपना रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सम्मेलन में यूनानी चिकित्सा में साक्ष्य आधारित आधुनिक शोध प्रवृत्तियों और आयुष, पारंपरिक चिकित्सा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग: संभावनाएं और चुनौतियां जैसे समकालीन विषयों पर चर्चा होगी।

यूनानी हकीम के कार्यों की तारीफ हुई

उन्होंने कहा कि हकीम साहब एक अग्रणी रसायन शास्त्री भी थे और इस नाते एक महत्वपूर्ण रसायन का नाम उनके नाम पर अजमलिन रखा। रक्तचाप और कार्डिएक केयर में उपयोगी उस रसायन का यही प्रचलित नाम है। यह तथ्य चिकित्सकों के बीच हकीम साहब के लिए अधिक सम्मान की बात है। हकीम अजमल खां ने ‘हाजिक’ नाम का जो ग्रंथ लिखा वह यूनानी चिकित्सा पद्धति का विश्व-कोश है। यह उल्लेखनीय है कि हकीम अजमल खां ने वैश्विक महामारी और मरीजों को क्वारंटीन करने के उपाय भी बताए हैं। जब प्रथम विश्व युद्ध के दौरान स्पेनिश फ्लू नामक महामारी फैली और भारत बुरी तरह प्रभावित हुआ तब उनके नुस्खे ने बहुतों का सटीक उपचार किया। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद और यूनानी जैसी प्राचीन प्रणातियों में संतुतित जीवन-शैली पर जोर दिया जाता है। प्राकृतिक परिस्थितियों के अनुरूप रहन—सहन और आहार-व्यवहार पर बल दिया जाता है। स्वाभाविक जीवन-शैली अपनाकर रहने को प्राथमिकता दी जाती है।

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