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सावधान! स्वास्थ्यकर्मियों के साथ हिंसा आपको जेल पहुंचा सकता है

भारत सरकार ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए अध्यादेश लाकर एक बेहतर कदम उठाया है। पढ़ें आशुतोष कुमार सिंह  की रपट

नई दिल्ली/एसबीएम

महामारी के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा से स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन के लिए भारत सरकार अध्यादेश लेकर आई है। जिसको महामहिम राष्ट्रपति ने लागू कर दिया है। इस बावत स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अवगत कराते हुए कहा कि, “स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के साथ किसी भी तरह की हिंसा और नैदानिक ​​प्रतिष्ठानों की संपत्ति को हानि पहुंचाए जाने को कतई बर्दाश्‍त नहीं किया जाएगा। संशोधन ऐसी हिंसक गतिविधियों को संज्ञेय और गैर-जमानती अपराध बनाता है।
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जुर्माना और जेल दोनों

इस बावत डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि, हिंसा के ऐसे कृ‍त्‍यों को करने या उनके लिए उकसाने पर तीन महीने से लेकर पांच साल तक की कैद की सजा हो सकती है और 50,000 रुपये से 2,00,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है, जिसे गंभीर चोट लगने पर छह महीने से लेकर सात साल तक की कैद की सजा तक बढ़ाया जा सकता है और 1,00,000 रुपये से 5,00,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।”
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कोविड-19 फ्रंटलाइनरों को 50 लाख का बीमा

इस बावत डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि, “भारत सरकार ने कोविड-19 के प्रकोप के प्रबंधन में शामिल फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कर्मचारियों जिनमें सफाई कर्मचारी, डॉक्टर, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिक्स, नर्स और यहां तक ​​कि निजी डॉक्टर भी शामिल हैं, के निधन पर 50 लाख रुपये के बीमे की घोषणा की है।”
 

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