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जामनगर में बनेगा WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन

नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जामनगर में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस की उपस्थिति में WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की आधारशिला रखी। जीसीटीएम दुनिया भर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक आउटपोस्ट केंद्र होगा।

एक वैश्विक परियोजना

इस मौके पर डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस घेब्रेयसस ने इस ग्लोबल सेंटर की स्थापना में पूर्ण सहयोग प्रदान के लिए प्रधानमंत्री मोदी की नेतृत्वकारी भूमिका की तारीफ की। उन्होंने इस सेंटर को वास्तव में एक वैश्विक परियोजना करार दिया, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 107 सदस्य देशों के अपने देश विशिष्ट सरकारी कार्यालय हैं, जिसका अर्थ है कि दुनिया पारंपरिक चिकित्सा में नेतृत्व के लिए भारत आएगी। उन्होंने कहा कि पारंपरिक दवाओं के उत्पाद विश्व स्तर पर प्रचुर मात्रा में हैं और केंद्र पारंपरिक चिकित्सा के वादे को पूरा करने में एक लंबा सफर तय करेगा।

मॉरिशस में भी आयुर्वेद की धूम

मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ ने इस अवसर पर विभिन्न संस्कृतियों में स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली और हर्बल उत्पादों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने 1989 से मॉरीशस में आयुर्वेद को विधायी मान्यता दिए जाने के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने जामनगर में आयुर्वेदिक चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए मॉरीशस के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए गुजरात को भी धन्यवाद दिया।

भारत पर बड़ी जिम्मेदारी : पीएम

प्रधानमंत्री ने कहा-ट्रेडिशनल मेडिसिन के क्षेत्र में भारत के योगदान और क्षमता के सम्मान का प्रतीक है WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन। उन्होंने आगे घोषणा की-भारत इस साझेदारी को पूरी मानवता की सेवा की एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में लेता है। उन्होंने कहा कि ‘WHO के ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के साथ वेलनेस के क्षेत्र में जामनगर के योगदानों को वैश्विक पहचान मिलेगी। पांच दशक से भी अधिक समय पहले, जामनगर में विश्व की पहली आयुर्वेद यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई थी। यहां एक बेहतरीन आयुर्वेद संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टीचिंग एंड रिसर्च इन आयुर्वेद है। पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि हमारा अंतिम लक्ष्य अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोगमुक्त रहना जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है लेकिन अंतिम लक्ष्य स्वस्थ होना है। विश्व स्तर पर आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी नुस्खों की बढ़ती मांग के बारे में चर्चा करते हुए पी एम ने कहा कि कई देश महामारी से निपटने के लिए पारंपरिक चिकित्सा पर जोर दे रहे हैं। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, सर्बानंद सोनोवाल, मुंजपारा महेंद्रभाई और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्रभाई पटेल उपस्थित थे।

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