नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। ICD 11 TM मॉड्यूल 2, मॉर्बिडिटी कोड्स 10 जनवरी को WHO दिल्ली में लॉन्च करेगा। आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी प्रणालियों पर आधारित रोगों से संबंधित डेटा और शब्दावली अब WHO के ICD11 क्लासिफिकेशन में शामिल की जाएगी। इस प्रयास से बीमारियों को परिभाषित करने वाली शब्दावली के कोड के रूप में ASU (आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध) चिकित्सा में वैश्विक एकरूपता आएगी। इसके लिए WHO में इंटीग्रेटेड हेल्थ सर्विसेज के निदेशक आ चुके हैं।
WHO के गाइडलाइन पर बनेंगी दवा
स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवाओं के उत्पादन से जुड़ी नई गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि अब देश की फार्मा कंपनियों को दवा बनाने में WHO के मानक का पालन करना होगा। दवा निर्माताओं को अपने उत्पादों की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेनी होगी। यह सुनिश्चित करना होगा कि जो दवा बनाई गई है, उससे मरीजों को किसी तरह का जोखिम न हो। कंपनियों को लाइसेंस के मापदंडों के अनुसार ही दवा बनानी होगी। दवाओं को पूरी तरह से टेस्टिंग के बाद ही मार्केट में उतारना होगा।
बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के टुकड़े
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल अकेडमी ऑफ साइंसेज में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक एक लीटर बोतलबंद पानी की बोतल में औसतन लगभग 240,000 प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं। ये टुकड़े पहले के अनुमान से 100 गुना अधिक हैं। अध्ययन में तीन नामी कंपनियों के बोतल बंद पानी को शामिल किया गया था। यह दिमाग और दिल से होते हुए अजन्मे बच्चे तक भी पहुंच सकता है। जन्म के वक्त बच्चों में शारीरिक असमान्यताएं तक हो सकती हैं।