नयी दिल्ली (स्वस्थ भारत मीडिया)। दो सालं से कोरोना के कारण भारत समेत दुनिया भर में तबाही मची। लेकिन अब पता चल रहा है कि भारत में 4 करोड़ लोग लॉन्ग कोविड की वजह से प्रभावित हैं। यानी कोरोना से मुक्त होने के बाद भी संक्रमण के लक्षण दिखाई देते हैं हालांकि इसे हर कोई समझ नहीं पाता।
कोरोना से मुक्ति फिर भी लक्षण मौजूद
जानकारी के अनुसार इंगलैंड के शोधकर्ताओं का मानना है कि अधिकांष मामलों में सांस लेने में दिक्कत, शरीर में थकान और जोड़ों में दर्द जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। इस शोध में 204 देशों के ग्लोबल बर्डेन ऑफ डिजीज से भी आंकड़े लिए गए हैं। इस अध्ययन में कहा गया है कि साल 2020 और 2021 में 14.47 करोड़ लोगों में लॉन्ग कोविड के तीन लक्षण प्रमुखता से देखे गए हैं। लक्षण इस प्रकार हैं-सांस लेने में दिक्कत, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी, शरीर में थकान और जोड़ों में दर्द।
20-29 साल की महिलाओं में ज्यादा परेशानी
इन लक्षणों को लेकर किये गए इस अध्ययन में कहा गया है कि लगभग 60.4 प्रतिशत लोगों में खांसी, जुकाम और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हुई है। इसके अलावा 50 फीसद से ज्यादा लोगों में शरीर में दर्द, थकान और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी जैसे लक्षण देखे गए हैं। 35 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को ध्यान केंद्रित करने में परेशानी हुई है। सबसे ज्यादा शिकायत 20 से 29 साल की महिलाओं में देखने को मिली है। इस शोध में पूरी दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर हुए 44 से ज्यादा अध्ययन और शोध के आंकड़े लिए गए हैं।
delta-omicron से ज्यादा खतरा
शोधकर्ताओं के मुताबिक दुनिया भर में लोगों को लॉन्ग कोविड का खतरा कोरोना वायरस के कुछ वैरिएंट से ही है। दो सालों में कोरोना के दर्जनों नए वैरिएंट का संक्रमण देखा गया है। कोरोना के हर नए वैरिएंट के कुछ लक्षण दूसरे वैरिएंट से अलग भी रहे हैं। इनमें से अब तक का सबस ज्यादा खतरनाक वैरिएंट delta और omicron को माना गया है। लॉन्ग कोविड से प्रभावित ज्यादातर मामले delta और omicron के ही हैं। अध्ययन के मुताबिक omicron से संक्रमित 56,003 लोगों से 4.5 प्रतिशत लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखे गए हैं। जबकि delta से प्रभावित 41,361 लोगों में से 4469 यानी लगभग 10.8 प्रतिशत लोगों में लॉन्ग कोविड के लक्षण देखने को मिले।