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कोविड-19 काल में ऐसे मानवीय आदर्शों की है जरूरत

समाज को आज बनारस के आदर्श श्रीवास्तव जैसे और आदर्शों की है जरूरत ताकि कोविड-19 के इस महासंकट में मानवता को बचाया जा सके।

 आशुतोष कुमार सिंह

कोविड-19 के इस दौर में मानवीय बने रहना बहुत मुश्किल है। इस वायरस के आगे देश-दुनिया खुद को असहाय महसूस कर रही है। यह ऐसा वायरस है जो दूसरों से दूर रहने को कहता है। ऐसे में किसी की मदद करना भी आसान काम नहीं है।
ऐसी भयावह स्थिति में जो लोग दूसरों की मदद कर रहे हैं वे भगवान से कमतर नहीं है। स्वस्थ भारत मीडिया ऐसे लोगों की कहानी लगातार लाने की कोशिश कर रहा है। इसी कड़ी में आज एक ऐसे आदर्श की बात कर रहे हैं जो मानवीय आदर्श प्रस्तुत कर रहा है।

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पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के आदर्श श्रीवास्तव वैसे तो राजनीति से जुड़े हैं लेकिन इन दिनों कामगारों की मदद करने में किसी से कम नहीं है। बनारस से उनके मानवीय आदर्श की कहानियां सामने आ रही हैं। उनके कार्यों के बारे में स्वस्थ भारत मीडिया ने वहां के स्थानीय लोगों से बातचीत भी की। बातचीत में मालूम चला कि वे लॉकडाउन-1 में भी प्रवासी कामगारों के लिए मसीहा बन कर उभरे थे। लॉकडाउन-2 में वे 23 वयस्क एवं 6 बच्चों को तीनों समय का भोजन कराने का प्रबंध कर रहे हैं। एक तरह से इन्होंने इन गरीबों को गोद ले लिया है।

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उनके द्वारा प्रति वयस्क-5 किलो चावल,5 किलो आटा,1 किलो दाल, मसाला एवं प्रति बच्चे 3 किलो चावल,3 किलो आटा, 500 ग्राम दाल,मसाला का वितरण भी किया जा रहा है। लंका थाना के सब इंस्पेक्टर पद्मुमन मणि त्रिपाठी एवं देशांतर टुडे’ वेब समाचार के सम्पादक नितीश श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में यह वितरण संपन्न हो रहा है।
इसके पूर्व लॉकडाउन के पहले ही दिन से आदर्श श्रीवास्तव दैनिक सफाई में उपयोग होने वाला सर्फ, नहाने का साबुन ,हाँथ धोने का साबुन एवं भोजन उपलब्ध कराते आए हैं। साथ ही लॉकडाउन पार्ट 1 के पहले दिन से ही रोज 250 भोजन पैकेट रोहनियाँ थाना क्षेत्र के अखरी चौकी एवं लंका थाना क्षेत्र के सुंदरपुर चौकी पर उपलब्ध कराते आ रहे है, ताकि जरूरत मंदो के बीच वितरित किया जा सके। पिछले 21 दिनों से प्रतिदिन उनका परिवार प्रवासी कामगारों के लिए राहत खाद्यान्न बनाकर, पैक कर अपना अहम योगदान दे रहा है।
ये लोग इन कामगारों के साथ-साथ आस-पास के लोगों को सोशल डिस्टेंशिंग के मायने को भी समझा रहे हैं।
समाज को आज आदर्श श्रीवास्तव जैसे और आदर्शों की है जरूरत ताकि कोविड-19 के इस महासंकट में मानवता को बचाया जा सके।

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